बिना ब्रेक की जुबान बिगाड़ सकती हमारे जन्मोजन्म,वाणी के साथ रखे विवेक- महाप्रज्ञा म.सा.

बिना ब्रेक की जुबान बिगाड़ सकती हमारे जन्मोजन्म,वाणी के साथ रखे विवेक- महाप्रज्ञा म.सा.
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भीलवाड़ा,। कुदरत का सबसे बड़ा उपहार वाणी है। वाणी ही मनुष्य को पशु जगत से अलग करती है। वाणी संसार की सबसे बड़ी दौलत है। वाणी से ही मनुष्य के परिवार ओर संस्कारों का परिचय हो पाता है ओर इसके माध्यम से ही उसके ज्ञान ओर अज्ञानता का अहसास होता है। वाणी के साथ विवेक का उपयोग जरूरी है। वाणी प्रेम की डाली है जो बिछड़े पंछी को भी मिला देती है तो वाणी ही मित्र ओर शत्रु भी बनाती है। ये विचार अनुष्ठान आराधिका ज्योतिष चन्द्रिका महासाध्वी डॉ. कुमुदलताजी म.सा. के सानिध्य में आध्यात्मिक चातुर्मास आयोजन समिति द्वारा सुभाषनगर संघ के तत्वावधान में दिवाकर कमला दरबार में शुक्रवार को धर्मसभा में स्वर साम्राज्ञी महासाध्वी महाप्रज्ञाजी म.सा.ने वाणी सृष्टि का सबसे बड़ा चमत्कार विषय पर चर्चा करते हुए व्यक्त किए। साध्वी महाप्रज्ञाजी ने अनावश्यक नहीं बोलने की सीख देते हुए कहा कि तीर्थंकरों की वाणी केवलज्ञान होने के बाद ही सुनाई देती है। भगवान महावीर की वाणी आगम ओर भगवान कृष्ण की वाणी गीता बन गए। वाणी के माध्यम से ही स्वर्ग ओर नरक के बंधन हो सकते है इसलिए हमेशा सोच विचारकर बोलना चाहिए। बिना ब्रेक की कार से शरीर को खतरा ओर बिना ब्रेक की जुबान हमारे जन्मो जन्म खतरे में डाल सकती है। धर्मसभा में महासाध्वी कुमुदलताजी म.सा. ने कहा कि 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का मोक्ष कल्याणक होने से उनके चरणों में श्रद्धापुष्प अर्पित करते है। धर्मसभा में वास्तुशिल्पी पद्मकीर्तिजी म.सा. ने सुखविपाक सूत्र का वाचन करते हुए कहा कि इसका स्वाध्याय जीवन में बदलाव का माध्यम बन सकता है। ये सूत्र जीवन को किस तरह जीना चाहिए इसकी जानकारी देता है। जिसने सुखविपाक सूत्र के भावों को समझ अंगीकार कर लिया उसका जीवन सार्थक हो जाता है। धर्मसभा में विद्याभिलाषी साध्वी राजकीर्तिजी म.सा. का भी सानिध्य प्राप्त हुआ।

धर्मसभा में चित्तौड़गढ़ निवासी पायल जैन ने साध्वी कुमुदलताजी म.सा. के मुखारबिंद से अठाई तप के प्रत्याख्यान लिए तो हर्ष-हर्ष के जयकारे गूंज उठे।तपस्वी बहन का स्वागत तपस्या की बोली लेने वालों के साथ चातुर्मास महिला मण्डल की अध्यक्ष निर्मला भड़कत्या,लीला सुराणा एवं चित्तौड़गढ़ निवासी डॉ. सुशीला लढ़ा ने किया। पूज्य महासाध्वी कुमुदलताजी म.सा. के सानिध्य में शुक्रवार को सुबह प्रवचन के बाद एकासन विधि सम्पन्न कराई गई। माता पद्मावती की आराधना करते हुए एकासन विधि वास्तुशिल्पी साध्वी पद्मकीर्तिजी म.सा. ने सम्पन्न कराई। उन्होंने बताया कि चातुर्मास में 16 शुक्रवार को पद्मावती एकासन कराने का क्या महत्व है ओर जीवन में इससे किस तरह के बदलाव महसूस किए जा सकते है। चातुर्मासिक पद्मावती एकासन आरधना को लेकर उत्साह का माहौल रहा ओर भीलवाड़ा शहर व आसपास के क्षेत्रों से 550 से अधिक श्रावक-श्राविकाएं इसमें शामिल हुए। चातुर्मासिक साप्ताहिक पद्मावत एकासन आराधना का लाभ सुरेशकुमार, किरणकुमार, संपतलाल डांगी परिवार चित्तौड़गढ़, विपुल, शुभम, नेहा, रिया चौधरी परिवार (नंदराय वाले) एवं एक गुरूभक्त गुप्त परिवार ने प्राप्त किया। लाभार्थी परिवारों का आध्यात्मिक चातुर्मास आयोजन समिति द्वारा स्वागत बहुमान किया गया।

धर्मसभा में जोधपुर से पधारे साध्वी पद्मकीर्तिजी म.सा. के सांसारिक पिता पदमचंदजी बोहरा, चित्तौड़गढ़ से आए डॉ. सुशीला लढ़ा, रतनलाल कर्णावट,मुंबई के महेन्द्र चपलोत, नरेन्द्र पीपाड़ा आदि अतिथियों का स्वागत आध्यात्मिक चातुर्मास आयोजन समिति के अध्यक्ष दौलतमल भड़कत्या, सुभाषनगर संघ के अध्यक्ष हेमन्त कोठारी,बंशीलाल बोहरा,विक्रम डूंगरवाल,अनिल कोठारी आदि पदाधिकारियों द्वारा किया गया। संचालन चातुर्मास समिति के सचिव राजेन्द्र सुराना ने किया। धर्मसभा में भीलवाड़ा के विभिन्न क्षेत्रों सहित कई स्थानों से आए श्रावक-श्राविकाएं मौजूद थे।एकासन कराने की व्यवस्था में भारतीय जैन संगठना(बीजेएस) के सदस्यों ने सेवाएं प्रदान की।

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