उत्तम आकिंचन धर्म की आराधना, तीन पीढ़ियों ने किया अभिषेक

भीलवाड़ा। दस लक्षण पर्व के नवें दिन शुक्रवार को दिगंबर जैन समाज द्वारा उत्तम आकिंचन धर्म की आराधना की गई। इस अवसर पर पंडित राहुल जैन शास्त्री ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि आकिंचन त्याग के बाद निर्लेपन की अवस्था आती है। व्यक्ति त्याग तो कर लेता है, लेकिन अहंकार रूपी कषाय शेष रह जाती है। कषाय का एक परमाणु मात्र भी समाप्त करना ही निर्लेपन है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे कैंसर के उपचार में ऑपरेशन के बाद कीमोथेरेपी की जाती है, वैसे ही त्याग के बाद आत्मा को निर्मल करने के लिए निर्लेपन आवश्यक है। व्यक्ति को न तो अतीत की स्मृतियों में उलझना चाहिए और न ही भविष्य की अपेक्षा करनी चाहिए। भोग और उपभोग मिलने पर भी उनसे विरक्ति रखना जरूरी है।
श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर, तरणताल के सामने, में आज प्रातः अनिल, अंकित व आरव बाकलीवाल ने स्वर्ण मुकुट धारण कर प्रथम अभिषेक एवं 108 रिद्धि मंत्रों से भगवान का अभिषेक किया। मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेश गोधा ने बताया कि दस लक्षण पर्व के अवसर पर जर्मनी में निवासरत अंकित बाकलीवाल अपने परिवार सहित भीलवाड़ा पधारे और तीन पीढ़ियों ने एक साथ अभिषेक कर धर्म आराधना की।
विमल कमल रारा ने शांतिनाथ भगवान के श्रीमस्तक पर शांतिधारा की। अन्य श्रद्धालुओं में अशोक अमित चौधरी, महावीर अंकित काला, महेन्द्र निलेश छाबड़ा, सनत निसर्ग अजमेरा, बालचंद सुशील शाह, ओमचंद रिखबचंद परिवार, रुपेंद्र नवकुमार गोधा, राकेश ऋषभ ठोलिया आदि ने भी विभिन्न प्रतिमाओं पर शांतिधारा कर पुण्य अर्जित किया। कार्यक्रम के अंत में आदिनाथ जिन मंडल की ओर से सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं, जिनमें समाज के बच्चों और युवाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
