मांडल की ऐतिहासिक बावड़ियां और कुएं बदहाल, जीर्णोद्धार की मांग तेज

मांडल की ऐतिहासिक बावड़ियां और कुएं बदहाल, जीर्णोद्धार की मांग तेज
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भीलवाड़ा जिले का मांडल कस्बा अपने समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है, लेकिन समय के साथ यहां की कई ऐतिहासिक बावड़ियां और कुएं जर्जर अवस्था में पहुंच चुके हैं। नर्सिंग मंदिर चौक के पास स्थित शक्कर कुई, महावीर व्यायाम शाला के बाहर तीज की बावड़ी, तथा तेजाजी चौक स्थित बावड़ी जो कस्बे की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा रही हैं, आज के दिन पड़ी गंदगी और अव्यवस्था की वजह से समाज के लिए चिंता का विषय बन गई हैं।

स्थानीय निवासी बद्री लाल सुथार ने बताया कि ये कुएं और बावड़ियां पहले कस्बे की प्यास बुझाने और ऐतिहासिक महत्व की निशानी थीं, लेकिन आज वे कचरों का अड्डा बनकर रह गई हैं। सफाई-देख रेख के अभाव में इनका स्वरूप धीरे-धीरे मिटता जा रहा है। उन्होंने कई बार विधायक व अन्य जनप्रतिनिधियों को लिखित शिकायतें दीं, साथ ही जीर्णोद्धार की भी मांग की, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

बद्री लाल सुथार, जो स्वयं विधायक के करीबी माने जाते हैं, ने बताया कि इसके बावजूद भी संबंधित विभागों की उदासीनता प्रशासन की नाकामी को उजागर करती हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि स्थानीय प्रशासन व जनप्रतिनिधियों को इस ऐतिहासिक धरोहर की उचित देखभाल व संरक्षण हेतु शीघ्र कार्रवाई करनी चाहिए।

स्थानीय जनता भी सवाल उठा रही हैं कि कैसे समय के साथ यह महत्वपूर्ण धरोहर गंदगी व उपेक्षा की भेंट चढ़ती जा रही हैं, जबकि ये स्थल न केवल कस्बे के इतिहास का हिस्सा हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी शिक्षण व पर्यटन का महत्वपूर्ण स्रोत बन सकते हैं।

अब समय आ गया है कि प्रशासन व जनप्रतिनिधि इनके संरक्षण व जीर्णोद्धार हेतु ठोस कदम उठाएं, ताकि यह ऐतिहासिक विरासत समय के थपेड़ों से बचाई जा सके ।

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