पढ़ाई के साथ बच्चों में धार्मिक संस्कारों का होना भी आवश्यक- मुनि निर्मद सागर महाराज

पढ़ाई के साथ बच्चों में धार्मिक संस्कारों का होना भी आवश्यक- मुनि निर्मद सागर  महाराज
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बिजौलिया (दीपक राठौर)। श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ तपोदय तीर्थ क्षेत्र पर विराजमान पूज्य मुनि निर्मद सागर जी महाराज ने रविवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चों की शिक्षा के साथ उनमें धार्मिक संस्कारों का होना भी आवश्यक हैं। कोई भी माता-पिता जीवन भर अपने बच्चों का पालन पोषण बेहतर ढंग से करता है, वह उम्मीद करता है कि उसके बुढ़ापे और दुखों में यही बच्चे उसका सहारा बनेंगे।इसके लिए उनकी अच्छी शिक्षा की व्यवस्था करता है उन्हें उसके योग्य बनाता हैं। परंतु उन सबके साथ बच्चों में अगर धार्मिक संस्कार की अच्छी नींव डाल जाए तो यही बच्चे अच्छे पद पर पहुंचने के बाद भी अपने परिवार माता-पिता उनकी सेवा का भाव मन में रखते हैं। जीवन में विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी अच्छे संस्कार व्यक्ति को सही राह दिखाने में कामयाब हो जाते हैं। बच्चों को शिक्षा दिलाने का प्रयोजन माता पिता से दूर जाने के बजाए उनके साथ रहकर उनकी सेवा करने का होना चाहिए। तभी जीवन की सार्थकता हैं।

वहीं क्षेत्र पर विराजमान पूज्य मुनि नीरज सागर जी महाराज ने कहा व्यक्ति की संगति ही संस्कारों को तय करती है। वर्षा की एक बूंद जमीन पर आने के बाद विभिन्न स्थितियों में समाहित होने के बाद वह विभिन्न परिणीति को प्राप्त हो जाती है उसी तरह जीवन में भी जिस तरह की संगति का असर होता है उसी तरीके के परिणामों की प्राप्ति होती है। अतः जीवन में सदैव सुविचार, सुसंगति व अच्छे संस्कारों से ही जीवन का उद्धार हो सकता हैं।

धर्मसभा से पूर्व तीर्थ क्षेत्र पर अभिषेक शांतिधारा की गई। उसके पश्चात पूज्य मुनिश्री नीरज सागर जी के मुखारविंद से आचार्य श्री का पूजन हुआ । धर्मसभा के पश्चात आहारचर्या सम्पन्न हुईं।

धर्मसभा में प्रेम सोनी, महेंद्र सोनी, सुंदरलाल लुहाड़िया, उम्मेदमल हरसौरा, प्रभुलाल ठग, कैलाश बगड़ा, सूरजमल बगड़ा, वर्धमान ठग, सुरेन्द्र हरसौरा, सुरेश लुहाड़िया, कमेटी अध्यक्ष लाभचंद पटवारी, दिनेश काला सहित समाज के कई साधार्मिजन उपस्थित थे।

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