टपकती छत, टूटी - पट्टीया कैसे हो नोनीहालो की पढ़ाई

बिजौलियाँ बिजोलिया तहसील के सतकुडिया ग्राम में पिछले लगभग 15 सालों से प्राइमरी स्कूल की छत की पट्टीया अपनी जगह छोड़ चुकी हैं और बारिश के दौर में तो स्कूल में यह आलम रहता है कि कमरों के अंदर टपकती छत से पानी तक भर जाता है जिसके कारण बच्चों को बरामदे में या बरामदे में भी पानी भर जाने पर छुट्टी करनी पड़ जाती हैं ग्रामीणों का कहना है कि इसी के साथ बनी एक बिल्डिंग बुरी अवस्था में जर्जर होकर गिर भी चुकी है और यहां पर बच्चे खाली समय मे इसी बिल्डिंग के पास क्रिकेट आदि अन्य खेल खेलते हैं जिससे कभी भी बड़े हादसे होने का खतरा हमेशा मंडराया रहता है| ग्रामीण धनराज भील का कहना है कि स्कूल में 5 साल पहले भी एक टूटी हुई पट्टी को निकाला था लेकिन वर्तमान में अभी भी दो पट्टीया टूटी हुई है पूर्व में भी प्रिंसिपल लक्ष्मण धाकड़ द्वारा बिल्डिंग की अवस्था को लेकर कहीं बार शिकायतें लेटर लिखे जा चुके हैं|
ग्रामीण संपत भील का कहना है कि-
मेरी शादी को 13 साल बीत चुके हैं उससे पहले जब मे यहां पर पढ़ाई करती थी तब से ही यह पट्टीया पास में ही चल रही खनन ब्लास्टिंग के कारण अपनी जगह छोड़ चुकी थी तब से लेकर आज तक लगभग 20 सालों मे इनकी सार- संभाल करने वाला कोई नहीं आया
वही प्रिंसिपल गिरीजा मीणा का कहना है कि-
पिछले 10 साल से मेरी पोस्टिंग यही पर है कहीं बार लेटर लिखे जा चुके हैं कहीं बार शिकायत हो चुकी हैं 2023 में भी एस एम सी द्वारा प्रस्ताव लिया गया था लेकिन इस समस्या का अभी तक कोई स्थाई समाधान नहीं निकला|
ब्लॉक शिक्षा अधिकारी मालीराम यादव का कहना है कि- सतकुडिया स्कूल के झज्जर- जर्जर भवन की सूचना मिली है मैं स्वयं सतकुड़ियां स्कूल देखने जा रहा हूं जर्जर भवन में बच्चों को नहीं बिठाने के लिए पाबंद कर दिया है और टपकती छत को लेकर उच्च अधिकारियों को लिख रहे हैं फिलहाल अल्टरनेटिव व्यवस्था जो भी है कर रहे हैं बच्चों को टूटी जर्जर जर्जर पट्टीयों के नीचे कतई नहीं बैठने देंगे|