भीलवाडा लोकसभा चुनाव,: जाति की चाशनी तय करेगी चुनावी मिठास... लेकिन अपने ही बन रहे है मुंह की खटास
भीलवाडा (राजकुमार माली)। जाति की चाशनी तय करेगी कि किसका चुनाव मीठा होगा और किसका कसैला। चुनाव अभी मेल्टिंग प्वॉइंट पर है। गन्ने के रस की तरह मुद्दे लंबे समय तक तेज आंच में पकने के बाद चुनाव में गाढ़ापन ले आए हैं। अब मिठास से भरे चुनावी गुड़ को आकार देने और बांधने की कोशिशें चल रही हैं। इन सबके बीच स्थानीय स्तर पर चुनावी माहौल में उभर आए पुराने गिले-शिकवे, जात-पात और बड़े-छोटे का कसैलापन भी दिखाई दे रहा है और यह दोनों ही दलों में नजर आ रहा है।
बीजेपी से सांसद सुभाष बहेडिया की हैट्रिक रोकने के लिए इस बार अपनो ने कड़ी फील्डिंग लगाई है। जिससे उनका टिकिट कट गया और मैदान में आ गए दामोदर अग्रवाल। दामोदर अग्रवाल तेज तर्रार माने जाते है और चुनाव लडाने का उनका लंबा अनुभव है। वह विधानसभा और लोकसभा के कई चुनाव का प्रबंधन संभाल चुके है, अब वे खुद मैदान में हैं। उनके साथ भाजपा का मजबूत संगठन और कार्यकर्ताओं की टीम है। परंतु आपसी गुट बाजी अभी भी साफ झलकती है। इसके बावजूद की स्थिति काफी मजबूत मानी जा रही है वह गांव तक के कार्यकर्ताओं को पहचानते हैं उनकी एक ही कमी या आदत कहे बोलने के लहजे से ...!
समर में भीलवाडा से दूसरी बार उतरे काग्रेस के कद्दावर नेता डॉ. सीपी जोशी ने काग्रेस कार्यकताओं में उम्मीद ही नही जगाई बल्कि चूनाव को मुकाबले में लाकर खड़ा कर दिया, नहीं तो कार्यकर्ता हताश थे पानी वाले बाबा के आने से चुनावी चर्चाएं शुरू हुई है अगर कोई दूसरा आता तो शायद मात पहले से भी अधिक होती। आल्हा की जोशी के साथ सत्ता की मलाई का मजा लेने वाले लोग कब ही नजर आ रहे हैं वह खुद चुनावी रंगत बनाने की कोशिशों में जुटे हैं। ब्राह्मण समाज के लोग उनके पक्ष में कितना वोट करते हैं। ऐसे में बीजेपी के अग्रवाल के चुनावी दांवपेच में कितना वोट भाजपा की झोली में पड़ेगा या छिटकेगा, यह देखना भी दिलचस्प रहेगा। चुनाव का अभी तक का जो दृश्य नजर आ रहा है, उसमें रण में उतरे 10 प्रत्याशियों में से मुख्य मुकाबला भाजपा और काग्रेस के बीच ही माना जा रहा है।
ये बोले मतदाता
भीलवाडा से पुर की ओर निकले तो एक होटल पर जिलादीन भी चुनाव पर चर्चा करते हुए मिल वह कहते हैं, काग्रेस से जोशी के आने से पार्टी चुनाव में मजबूत तो हुई है लेकिन आपसी खींचतान ने काग्रेस का बड़ा गर्क किया हुआ है। चुनावी माहौल के बारे में वह अपने देसी अंदाज में कहते हैं, 'माहौल तो जी रात-रात में बदल जा, बहुत से तो ऐन वक्त पे रपट जावें।' कपड़ा फैक्ट्री में मजदूरी करने वाले नीटू को शिकायत है कि नेताजी (सांसद) ने उनके गांव की सड़क नहीं बनवाई। पर, उन्हें सरकार से कोई शिकवा नहीं। वह मुफ्त गैस सिलिंडर और अनाज मिलने से खुश हैं। यहां से आगे कारोई गंगापुर में भी चुनावी रंगत गायब मिली। जोशी के लिए चुनाव को आसान नहीं माना जा रहा है। जहाजपुर और मांडल क्षेत्र के के लोगों का तो कुछ अलग ही कहना है। मुंडका के राज्य में 5 साल कांग्रेस सत्ता में थी लेकिन आम लोगों के काम नहीं हुए जातिवाद का जहर फैला है रेत माफिया भू माफिया पनपे हैं।
भीलवाड़ा शहर की कच्ची बस्ती के एक नेता कहते हैं कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तो कई योजना चलाई लेकिन इन योजनाओं का लाभ गरीब लोगों को नहीं मिला पट्टे बनाने की बात पर वह कहते हैं कि बिना दलाल कोई काम नहीं हुआ है फर्जी पट्टे बन हैं। पत्ते बनाने की दलाली करने के सवाल पर भी वह कहते हैं दोनों ही दलों के लोग इस काम में लगे थे। अब वोट मांगने के लिए कोई नहीं आता उन्हें पता है कि हमने क्या किया!
छोटे से भूखंड का पत्ता₹15000 देकर बनवाने वाले लक्ष्मी नारायण का कहना है कि बिना दलाल तो उनकी फाइल भी नहीं ली गई और दलाल ने कुछ दिन में ही पट्टा बनाकर दे दिया उनका दुख था कि जब यूआईटी और नगर प्रसिद्ध मंदिर लाली का खेल चल रहा था तब n सत्ताधारीऔर न विपक्ष के लोग बोले !
हर बार की तरह जातीय समीकरणों में उलझा भीलवाडा का चुनाव जातीय समीकरणों में भी उलझा हुआ है। माना जाता है कि इस बार ब्राह्मण और वैश्य समाज के बीच मुकाबला है।पर, इस बार इन दोनों वर्गों के मतदाताओं के बंटने का अंदेशा है।
संसदीय सीट पर रोजगार भी एक बड़ा मुद्दा है। अशरफ, सलीम, मेहताब और मुकेश,अनिल कुमार की नाराजगी है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली हो रही है और रोजगार के अवसर नहीं बढ़ रहे हैं। चुनाव तो लोकसभा का है, लेकिन जनता सड़क, पानी, बिजली का खंभा, स्कूल भवन पट्टे जैसे पंचायत और निकाय चुनाव में उठने वाले मसलों को लेकर राजनीतिक दलों और सरकारों को कोस रहे हैं और प्रत्याशियों से उम्मीद बांध रहे हैं।
भीलवाड़ा की आधार धुरी कपड़ा कारोबार पर टिकी है लेकिन कपड़ा विषयों के संबंध में कई संकट है बिजली महंगी है सुविधाओं का अभाव है माफिया पनपे रहे हैं और यही वजह है कि कई कारोबारी पलाइन कर रहे हैं। भाजपा के उम्मीदवार दामोदर अग्रवाल का कारोबार भी कपड़े से जुड़ा है और वह कपड़ा संगठन के भी जिला अध्यक्ष है इसके चलते हुए कपड़ा करो बाजू की समस्या लगातार उठाते रहे हैं और उन्हें कई लाभ भी दिलाये यही वजह है कि कपड़ा मंडी से जुड़े अधिकांश व्यापारी उनके साथ है।
आरोप प्रत्यारोप और समस्याओं के साथ ही दोनों ही प्रत्याशियों के सामने अपनी ही पार्टी के लोगों की गुटबाजी से पार पाने भी बड़ी समस्या है। लेकिन मोदी लहर में अभी तो कमल भारी ही नजर आ रहा है।