दूसरे दिन बिजनेस, नेटवर्किंग और ज्ञानवर्धक नॉलेज सेमिनारों का आयोजन
दिल्ली/एनसीआर - 17 अक्टूबर, 2024 – 58वां आईएचजीएफ दिल्ली मेला- ऑटम 2024 अपने शानदार शुरुआत के बाद जोर पकड़ रहा है। यहां विभिन्न देशों से ब्रांड और सोर्सिंग समूहों से बड़ी तादाद में खरीदार पहुंच रहे हैं। मार्ट और हॉल दोनों में ही डेकोर, हाउसवेयर, फर्नीचर, फैशन एक्सेसरीज, होम टेक्स्टाइल के साथ-साथ गिफ्ट और होलीडे डेकोरेशन के स्टैंड्स में चहल-पहल के बीच लगातार गतिविधियां हो रही हैं। इस मेले में अभी तीन दिन और बाकी हैं और इसकी सफलता का माहौल अभी से तैयार हो गया है।
राजस्थान सरकार के माननीय उद्योग एवं वाणिज्य, युवा मामलों एवं खेल, कौशल, योजना एवं उद्यमिता और नीति निर्माण मंत्री श्री के. के. बिश्नोई ने अभूतपूर्व प्रदर्शकों और बड़ी संख्या में खरीदारों की मौजूदगी वाले इस भव्य मेले के आयोजन के लिए ईपीसीएच की सराहना की। इसी दौरान उन्होंने राजस्थान के प्रतिभागियों के साथ बातचीत भी की और उनके उत्पादों की विविधता, डिजाइन एवं गुणवत्ता की सराहना की। उन्होंने प्रतिभागियों का मनोबल बढ़ाने के लिए राज्य के समृद्ध लकड़ी, घातु, टेक्सटाइल, लेदर और बोन एवं हॉर्न शिल्प पर बल दिया।
बीजेपी के राजनीतिक एवं आर्थिक मामलों के राष्ट्रीय प्रवक्ता, राष्ट्रीय कार्यकारी समिति के सदस्य और राज्यसभा के पूर्व सांसद डॉ. सैयद जफर इस्लाम ने मेले में अपने दौरे के दौरान ईपीसीएच की देश और खास कर उत्तर प्रदेश को गौरवान्वित करने के लिए बधाई दी, जो सबसे बड़ी भागीदारी और उत्पाद प्रतिनिधित्व वाला राज्य है और मेले की मेज़बानी भी करता है। उन्होंने मुरादाबाद - हस्तशिल्प के सबसे बड़े केंद्र और राज्य के अन्य क्षेत्रों के कारीगरों, उद्यमियों और निर्यातकों से मुलाकात भी की।
ईपीसीएच के अध्यक्ष श्री दिलीप बैद ने साझा किया, “58वां आईईएचजीएफ दिल्ली मेला- ऑटम 2024, 16 से 20 अक्टूबर 2024 तक ग्रेटर नोएडा (एक्सप्रेसवे) के इंडिया एक्सपो सेंटर ऐंड मार्ट में आयोजित किया जा रहा है। इसके दूसरे दिन कई खरीदारों ने मेले में शिरकत की। मेले में विभिन्न देशों से आए आगंतुकों ने मेले का दौरा किया और अपनी सोर्सिंग से जुड़ी जानकारियों के साथ काफी व्यस्त दिखे। इस अवसर पर भारतीय हस्तशिल्प निर्यात व्यापार के महत्व के विषयों पर व्यावहारिकता प्रदान करने वाले सेमिनारों के साथ रैंप प्रस्तुतियां कई आगंतुकों को उत्साहित करती दिखीं। राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त शिल्पकारों द्वारा शिल्प निर्माण प्रक्रिया का प्रदर्शन दर्शकों को आकर्षित कर रहा है और मेले में अच्छी तरह से सुसज्जित लाउंज आगंतुकों को आराम करने में मदद कर रहे हैं। पहली बार आने वाले कई अंतरराष्ट्रीय आगंतुक हमारे क्षेत्र के पैमाने और निर्माताओं की गतिशीलता पर ध्यान दे रहे हैं, जो सामूहिक रूप से विदेशों में 'ब्रांड इंडिया' की पेशकश करते हैं। कुछ लोगों ने यह भी साझा किया है कि ईपीसीएच के सभी बहुआयामी गतिविधियों में से कुछ ऐसी हैं जिनसे बहुत से लोग अभी तक अनजान हैं, उन्हें मेले के केंद्र में 'ईपीसीएच वर्ल्ड' के माध्यम से बेहतर तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
मुख्य संरक्षक की भूमिका में ईपीसीएच के महानिदेशक और आईईएमएल के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने कहा, " हमारे नियमित खरीदार और आईएचजीएफ दिल्ली मेले के नए आगंतुक हमें उत्पाद प्रदर्शन के साथ-साथ व्यापार करने के लिए आरामदायक माहौल के मामले में अपनी सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करते रहते हैं। उनकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया ने क्षमताओं को प्रज्वलित किया है और प्रदर्शकों में आत्मविश्वास पैदा किया है, खासकर उन उभरते हुए लोगों में जो अभी शुरुआत कर रहे हैं लेकिन अपार संभावनाएं दिखाते हैं।"
आयोजन में आए इटली के खरीदार फिलिपो और लोरेंजो ने कहा, "हम इस मेले में पहली बार शामिल हुए हैं और हमारा अनुभव शानदार रहा है क्योंकि कई निर्माता हमारे उसी विश्वास को विस्तार दे रहे हैं जिसके भरोसे हम यहां पर आए हैं। रीसाइकिल्ड और दीर्घकालिक वस्तुओं में हमारा बहुत दृढ़ विश्वास है, ऐसे में यह हमारी प्रतिबद्धता है कि हम उत्पादन और उपभोग के मॉडल और ग्रीन सर्कुलर इकोनॉमी के नजरिए का समर्थन करें और इस बारे में जागरूकता का विस्तार करें । हमने भारत को उसकी बेहतर गुणवत्ता और आसान भागीदारी प्रक्रिया के लिए चुना है। हम अब तक कई उत्कृष्ट आपूर्तिकर्ताओं से जुड़ भी चुके हैं।"
आयोजन में पहली बार शिरकत कर रहीं एक अन्य खरीदार, पेरिस की डियाने ने अपने विचार कुछ यूं साझा किए, “सुंदर भारतीय उत्पादों के लिए मेरी जिज्ञासा ने मुझे इस मेले की यात्रा करने के लिए प्रेरित किया। मैं एक ऐसी कंपनी से हूं जो विशेष गुण, प्रमाणिकता और सुंदरता के साथ बेहतरीन डिजाइन पेश करने की इच्छा रखती है। मैं खास तौर पर लैंप एवं एक्सेंट पीस जैसे होम डेकोर उत्पादों की तलाश में हूं। भारतीय उत्पाद शानदार और जीवंत शिल्प कौशल और व्यापक हस्तनिर्मित डिजाइनों के साथ संस्कृति को खूबसूरती से दर्शाते हैं जो वास्तव में अलग दिखते हैं।''
ईपीसीएच के उपाध्यक्ष डॉ. नीरज खन्ना ने बताया, "डेको-यूटिलिटी उत्पादों के साथ-साथ स्टेटमेंट पीस में खूबसूरती से प्रदर्शित क्षेत्रीय शिल्प कौशल भारत की विरासत और हमारे विविध स्थलाकृति के कारण प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले मौसमी प्राकृतिक व्युत्पन्नों के महत्व के बारे में व्यावहारिक जागरूकता पैदा कर रहे हैं। प्रत्येक क्षेत्र कई कहानियाँ बताता है और हमारे आगंतुक विशेष चीज़ों की तलाश में होने के कारण ध्यान देकर खुश होते हैं।"
ईपीसीएच के उपाध्यक्ष श्री सागर मेहता ने बताया, “डोमेन एक्सपर्स्ट के साथ आज हमारे सेमिनारों की शुरुआत हुई है जो अंतरराष्ट्रीय अनुपालनों और निर्यात दस्तावेजीकरण पर गहरी समझ, दिशानिर्देश और महत्वपूर्ण जानकारियां देना जारी रखेंगे। ये सत्र न केवल निर्यातकों के लिए बल्कि उन लोगों के लिए भी है जो अपने बिजनेस के शुरुआती दौर में हैं।”
ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक श्री आर. के. वर्मा ने कहा, “ईपीसीएच द्वारा डन एंड ब्रैडस्ट्रीट के सहयोग से आज 'विदेशी खरीदारों तक पहुंचने के लिए रणनीतिक नजरिया' विषय पर आयोजित सत्र में मौजूद लोगों को बताया गया कि निर्यातक संभावित खरीदारों तक कैसे पहुंच सकते हैं और उनसे कैसे संपर्क स्थापित कर सकते हैं; विभिन्न निर्यातक अपने संभावित खरीदारों की खोज कैसे कर सकते हैं; और साथ ही निर्यातकों के लिए अत्यधिक प्रतिस्पर्धी अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी रैंकिंग सुधारने के लिए स्थिरता और समाधानों को लेकर भी जानकारी साझा की गई। वनों की कटाई-मुक्त उत्पादों (ईयूडीआर) पर यूरोपीय संघ के विनियमन पर आयोजित एक और सत्र ने अनुपालन, विनिर्माण प्रथाओं और प्रक्रियाओं के माध्यम से फर्नीचर और काष्ठ शिल्प निर्माताओं को आगे का रास्ता तलाशने में मदद पहुंचाई।”
हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद, देश से हस्तशिल्प के निर्यात को बढ़ावा देने और देश के विभिन्न शिल्प समूहों में होम, लाइफस्टाइल, टेक्सटाइल, फर्नीचर एवं फैशन जूलरी और एक्सेसरीज वस्तुओं के उत्पादन में लगे लाखों कारीगरों और शिल्पकारों के प्रतिभाशाली हाथों के जादू की ब्रांड छवि बनाने के लिए एक नोडल एजेंसी है। ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक श्री आर. के. वर्मा ने बताया कि साल 2023-24 के दौरान भारत से हस्तशिल्प का कुल निर्यात 32,758 करोड़ रुपये (3,956 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का हुआ था।
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