केंद्र सरकार के आंकड़े: भारत अब दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता

केंद्र सरकार के आंकड़े: भारत अब दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता
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नई दिल्ली |केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि बीते 11 वर्षों में भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में अभूतपूर्व विस्तार हुआ है। उन्होंने पीएम मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए बताया कि इस अवधि में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन छह गुना और निर्यात आठ गुना बढ़ा है।

मंत्री के अनुसार, वित्त वर्ष 2014-15 में इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का उत्पादन जहां 1.9 लाख करोड़ रुपये था, वह 2024-25 में बढ़कर 11.3 लाख करोड़ रुपये हो गया। इसी तरह, इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 0.38 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 3.3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

बीते दशक में इस क्षेत्र से करीब 25 लाख रोजगार सृजित हुए

उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट की एक शृंखला में बताया कि बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI-LSEM) योजना के तहत 13,475 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आकर्षित हुआ है। इसके जरिए 9.8 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन हासिल किया गया। बीते दशक में इस क्षेत्र से करीब 25 लाख रोजगार सृजित हुए हैं।

मंत्री ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण की यह वृद्धि पीएम मोदी के व्यापक इकोसिस्टम विकसित करने के विजन का नतीजा है। उन्होंने लिखा कि यह जमीनी स्तर पर वास्तविक आर्थिक विकास है। जैसे-जैसे सेमीकंडक्टर और कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग का विस्तार होगा, रोजगार के अवसर और बढ़ेंगे।

वैष्णव ने बताया कि पिछले पांच वर्षों में पीएलआई (एलएसईएम) के जरिए 1.3 लाख से अधिक नौकरियां पैदा हुई हैं और इसमें वैश्विक व भारतीय दोनों तरह की कंपनियों की भागीदारी रही है। इलेक्ट्रॉनिक्स अब भारत का तीसरा सबसे बड़ा निर्यात क्षेत्र बन गया है, जो पहले सातवें स्थान पर था।

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माण देश है

उन्होंने कहा कि भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माण देश है। देश में मोबाइल निर्माण इकाइयों की संख्या 2014-15 में सिर्फ दो थी, जो अब करीब 300 हो चुकी है। भारत में बिकने वाले 99.2 प्रतिशत मोबाइल हैंडसेट 'मेड इन इंडिया' हैं। मोबाइल फोन उत्पादन 0.18 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 5.5 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जबकि निर्यात लगभग शून्य से बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यह मेक इन इंडिया पहल को दर्शाता है।

मंत्री ने बताया कि सरकार अब तैयार उत्पादों के साथ-साथ मॉड्यूल, कंपोनेंट, सब-मॉड्यूल, कच्चे माल और मशीनों के निर्माण पर भी ध्यान दे रही है। इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम के तहत 249 आवेदनों के माध्यम से 1.15 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव आए हैं, जिनसे 10.34 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन और 1.42 लाख रोजगार सृजित होने का अनुमान है। उन्होंने इसे इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा निवेश प्रतिबद्धता बताया।

10 सेमीकंडक्टर इकाइयों को मंजूरी दी

वैष्णव ने यह भी जानकारी दी कि अब तक 10 सेमीकंडक्टर इकाइयों को मंजूरी दी जा चुकी है, जिनमें से तीन में पायलट या शुरुआती उत्पादन शुरू हो चुका है। उन्होंने कहा कि भारत के फैब्स और एटीएमपी इकाइयां जल्द ही मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माताओं को चिप्स की आपूर्ति करेंगी।

मंत्री ने कहा कि तैयार उत्पादों से लेकर कंपोनेंट तक भारत में उत्पादन लगातार बढ़ रहा है और निर्यात में भी इजाफा हो रहा है। उन्होंने निष्कर्ष में लिखा कि वैश्विक कंपनियों का भरोसा बढ़ा है, भारतीय कंपनियां प्रतिस्पर्धी बनी हैं और रोजगार सृजित हो रहे हैं यही 'मेक इन इंडिया' की असली कहानी है।

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