ईपीसीएच ने यूपी निर्यात संवर्धन नीति 2025–30 का किया स्वागत

दिल्ली/एनसीआर,। हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) ने उत्तर प्रदेश निर्यात संवर्धन नीति 2025–30 का स्वागत किया है। परिषद ने कहा कि यह नीति राज्य की हस्तशिल्प वैल्यू चेन में क्लस्टर ईकोसिस्टम को मजबूत करने, बाजार संबंधों का विस्तार करने और अनुपालन क्षमताओं को बढ़ाने में सहायक होगी।
हाल ही में ईपीसीएच अध्यक्ष डॉ. नीरज खन्ना और मुख्य संयोजक अवधेश अग्रवाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर एमएसएमई-अनुकूल निर्यात नीति के लिए सुझाव दिए थे। ईपीसीएच कार्यकारी निदेशक आर.के. वर्मा ने मुख्यमंत्री के दृष्टिकोण और समर्थन के लिए आभार जताया और कारीगरों के विकास हेतु समन्वित कार्रवाई की आशा व्यक्त की।
नीति पर प्रतिक्रिया देते हुए डॉ. खन्ना ने कहा कि “वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता के दौर में यूपी निर्यात संवर्धन नीति समयानुकूल सहयोग प्रदान करती है। इससे न सिर्फ निर्यात को गति मिलेगी बल्कि मुरादाबाद, सहारनपुर, आगरा, फिरोजाबाद जैसे क्लस्टरों की प्रतिस्पर्धा क्षमता भी बढ़ेगी।”
ईपीसीएच संरक्षक एवं आईईएमएल अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने नीति में शामिल प्रावधानों जैसे मेले-प्रदर्शनी में भागीदारी हेतु अतिरिक्त आर्थिक सहायता, ई-कॉमर्स सपोर्ट, लॉजिस्टिक्स सुविधा, निर्यात ऋण बीमा सहायता और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट की स्थापना को निर्यातकों के लिए अत्यंत उपयोगी बताया।
मुख्य संयोजक अवधेश अग्रवाल ने कहा कि यह नीति हजारों कारीगरों की आजीविका सुधारने, नवाचार को बढ़ावा देने और क्लस्टर इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुदृढ़ करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।
ईपीसीएच के अनुसार वर्ष 2024–25 में भारत से हस्तशिल्प का कुल निर्यात 33,123 करोड़ रुपये रहा, जिसमें से उत्तर प्रदेश का योगदान 7,122.49 करोड़ रुपये का रहा
