GST से जुड़ी ये जरूरी मीटिंग कल, क्या इंश्योरेंस प्रीमियम होगा टैक्स-फ्री?
कुछ समय पहले जब केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक चिट्ठी लिखकर हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस के प्रीमियम को टैक्स-फ्री करने का अनुरोध किया था. तब से ही इस विषय पर आम लोगों से लेकर सरकार तक में जबरदस्त मंथन हो रहा है. अब इसी से जुड़े मसलों पर चर्चा करने के लिए जीएसटी से जुड़ी एक जरूरी बैठक होने जा रही है. संभव है कि इंश्योरेंस प्रीमियम को टैक्स-फ्री करने को लेकर कोई ठोस सहमति बन जाए.
देश में जीएसटी पर कोई भी आखिरी फैसला लेने का काम जीएसटी परिषद करती है. जीएसटी काउंसिल की अध्यक्षता देश का वित्त मंत्री करता है और इसमें सभी राज्यों के वित्त मंत्री या उनके प्रतिनिधि शामिल होते हैं. जीएसटी काउंसिल की पिछली बैठक में इंश्योरेंस प्रीमियम को टैक्स-फ्री करने का भी मसला उठा था, लेकिन तब आखिरी सहमति नहीं बन सकी थी.
इसी बात को ध्यान में रखते हुए जीएसटी परिषद ने इस मामले पर डिटेल में विचार-विमर्श करने के और जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने के लिए दो मंत्री पैनल का गठन कर दिया था. अब इन मंत्री समूह की बैठक 19 अक्टूबर को होनी है. ये समूह इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी की मौजूदा 18 प्रतिशत की दर को युक्तिसंगत बनाने, छूट देने या कम करने पर डिस्कशन करेंंगे. वहीं जीएसटी दरों को लेकर भी चर्चा होगी.
बिहार से निकलेगी फैसले की राह
हेल्थ इंश्योरेंस और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम को टैक्स-फ्री करने के लिए बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की अध्यक्षता में एक 13 सदस्यीय मंत्री समूह भी बनाया गया है. इस मंत्री समूह के गठन के बाद इसकी कल पहली बैठक होनी है. इस मंत्री समूह में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, मेघालय, पंजाब, तमिलनाडु और तेलंगाना के मंत्रियों को शामिल किया गया है.
ये मंत्री समूह अक्टूबर के अंत तक इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स को लेकर अपनी रिपोर्ट तैयार करके जीएसटी परिषद को सौंप देगा. फिर इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी हटाया जाना है या उसे कम किया जाना है, इसका फैसला जीएसटी काउंसिल की बैठक में होगा.
इसके अलावा बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की ही अध्यक्षता में एक अन्य मंत्री समूह जीएसटी की दरों को तर्क संगत बनाने पर अपनी सिफारिशें पेश करेगा. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ये समूह जीएसटी की 12 और 18 प्रतिशत की दर को आपस में मिलाकर एक करने पर भी अपनी सिफारिशें देगा. अभी जीएसटी के तहत कर की 4 दर हैं. ये दर 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की हैं.