सरकार के दो अहम फैसले: चीन से सस्ते आयात पर सख्ती, कोयला खदान नियमों में ढील

नई दिल्ली |घरेलू उद्योगों को मजबूती देने और 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने शुक्रवार को दो बड़े और निर्णायक कदम उठाए हैं। एक तरफ जहां सरकार ने चीन से आयातित स्टील और रेफ्रिजरेंट गैस पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाकर घरेलू बाजार को सुरक्षा प्रदान की है, वहीं दूसरी तरफ ऊर्जा क्षेत्र में तेजी लाने के लिए कोयला और लिग्नाइट खदानों को खोलने के नियमों में ऐतिहासिक बदलाव करते हुए प्रक्रिया को बेहद आसान बना दिया है।
चीन के इन उत्पादों पर गिरी गाज
घरेलू निर्माताओं को चीन से होने वाले सस्ते और अनुचित आयात की मार से बचाने के लिए वित्त मंत्रालय ने चीन के दो उत्पादों-'कोल्ड-रोल्ड नॉन-ओरिएंटेड इलेक्ट्रिकल स्टील' और '1,1,1,2-टेट्राफ्लोरोइथेन' (R-134a) नामक रेफ्रिजरेंट गैस- पर पांच साल के लिए एंटी-डंपिंग शुल्क लगा दिया है। चीन की कुछ कंपनियों पर 223.82 अमेरिकी डॉलर प्रति टन और अन्य पर 415 अमेरिकी डॉलर प्रति टन का शुल्क लगाया गया है। रेफ्रिजरेंट गैस (R-134a) के आयात पर 5,251 अमेरिकी डॉलर प्रति टन तक का भारी-भरकम शुल्क लगाया गया है।
इसके अलावा, वियतनाम से आयातित और प्लास्टिक उद्योग में इस्तेमाल होने वाले 'कैल्शियम कार्बोनेट फिलर मास्टरबैच' पर भी एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई गई है। यह कार्रवाई वाणिज्य मंत्रालय की जांच इकाई डीजीटीआर की सिफारिशों के बाद की गई है, ताकि विदेशी उत्पादकों द्वारा कम कीमत पर माल डंप करने की प्रवृत्ति को रोका जा सके।
कोयला खदान नियमों में बड़ा बदलाव: अब बोर्ड को मिली मंजूरी की शक्ति
व्यापार सुरक्षा के साथ-साथ सरकार ने खनन क्षेत्र में लाल फीताशाही कम करने के लिए एक बड़ा सुधार किया है। सरकार ने 'कोलियरी कंट्रोल रूल्स, 2004' (Colliery Control Rules, 2004) के नियम 9 में संशोधन किया है, जिसका उद्देश्य कोयला और लिग्नाइट खदानों को खोलने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना है।
इस संशोधन के तहत सीसीओ की मंजूरी की शर्त खत्म कर दी गई है। अब खदान मालिकों को खदान या सीम खोलने के लिए, या 180 दिनों से अधिक समय तक बंद रही खदान को फिर से शुरू करने के लिए 'कोयला नियंत्रक संगठन' से पूर्व अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। खदानों या सीम को खोलने की मंजूरी देने का अधिकार अब संबंधित कोयला कंपनी के बोर्ड को सौंप दिया गया है।
हालांकि, सुरक्षा के तौर पर यह प्रावधान किया गया है कि कंपनी का बोर्ड केंद्र/राज्य सरकार और वैधानिक निकायों से आवश्यक मंजूरी मिलने के बाद ही इसे हरी झंडी देगा। इस सुधार से अनावश्यक औपचारिकताएं खत्म होंगी और खदानों के परिचालन समय में दो महीने तक की कमी आने की उम्मीद है। यह कदम कोयला उत्पादन को बढ़ावा देने और नियामकीय निरीक्षण को बनाए रखते हुए परिचालन को गति देने के लिए उठाया गया है।
