खुशखबरी! ये बरसात आपको गर्मी के साथ महंगाई से भी दिलाएगी राहत

खुशखबरी! ये बरसात आपको गर्मी के साथ महंगाई से भी दिलाएगी राहत
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गर्मी से तप रहे उत्तर भारत में आखिरकार मानसून ने दस्तक दे दी है। कई राज्यों में बारिश का दौर शुरू हो गया है। ये बारिश आम आदमी के लिए भी अच्छी खबर लेकर आई है। बरसात से आने वाले दिनों में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी होने का अनुमान लगाया जा रहा है। मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार इस साल देश में सामान्य से 6 फीसदी से ज्यादा बारिश होगी। इससे किसानों की उपज और देश की मानसून आधारित उद्योग धंधों पर सकारात्मक असर पड़ेगा।


आगामी खरीफ सीजन के लिए अच्छा संकेत

भारतीय रिजर्व बैंक की वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट के अनुसार 2024 में दक्षिण-पश्चिमी मानसून की बारिश सामान्य से अधिक रहना आगामी खरीफ सीजन के लिए अच्छा संकेत है। इससे खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर दबाव कम हो सकता है। रिजर्व बैंक रिपोर्ट में कहा गया है कि अच्छे मानसून से महंगाई में कमी के संकेत मिल रहे हैं।

मई महीने में गिरी समग्र महंगाई दर

दरअसल, मई महीने में समग्र महंगाई दर गिरकर 12 महीने के निचले स्तर 4.75 फीसदी पर पहुंच गई है, जो अप्रैल के 4.83 फीसदी से कम है। इस गिरावट के बावजूद खाद्य महंगाई लगातार चौथे महीने उच्च स्तर पर बनी हुई है। यह मई में 8.5 फीसदी पार कर गई। प्रमुख क्षेत्र की महंगाई दर, जिसमें खाद्य व ईंधन शामिल नहीं होता, मई महीने में गिरकर 3 फीसदी पर आ गई है, जो मौजूदा सीपीआई श्रृंखला का निचला स्तर है।


मानसून पर निर्भर है भारत में फसलों का उत्पादन

कृषि विशेषज्ञ आरके रमण का कहना है कि भारत में फसलों का चक्र काफी हद तक मानसून पर निर्भर करता है। ये खरीफ की फसल का मौसम है। इन दिनों सभी को तपती गर्मी से राहत के लिए बारिश चाहिए चाहे फिर वह आम आदमी हो या फिर खेतों की सूखती जमीन। मानसून की बारिश आदमी को चैन तो देती है, लेकिन खेत-खलिहानों के लिए भी राहत लेकर आती है। मानसून की बारिश आम आदमी को गर्मी की मार से बचाने के अलावा महंगाई की मार से बचाने का काम भी करती है।

कम बारिश से खरीफ की फसलों को होगा नुकसान

रमण का कहना है कि अगर देश में मानसून कमजोर रहता है या बारिश सही समय से नहीं होती है, तो महंगाई के नियंत्रण में बहुत परेशान आती है। जैसा की मौसम विभाग का अनुमान है कि जून के महीने में मानसूनी बारिश सामान्य से कम रह सकती है। जून के महीने में मानसून टुकड़ों-टुकड़ों में आ रहा है। इसमें देरी होने की भी आशंका है। जून के आखिर या जुलाई की शुरुआत में बारिश की स्थिति ठीक रह सकती है। ये स्थिति निश्चित तौर पर फूड इन्फ्लेशन को प्रभावित करेगी। अगर बारिश सही समय पर नहीं आती है, तो इससे खरीफ की फसलों को भारी नुकसान होगा। खाद्यान्न की उपज पर असर होगा। इससे कीमतें बढ़ने के आसार बन सकते हैं।

30 जून तक देश के इन 25 फीसदी इलाकों में भारी बारिश

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अपने नवीनतम मौसम बुलेटिन में कहा है कि 30 जून तक पूरे भारत में बारिश होगी। साथ ही देश के 25 फीसदी हिस्सों में भारी बारिश होने का अनुमान है। इनमें कोंकण और गोवा, तटीय कर्नाटक, दक्षिण आंतरिक कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, हरियाणा, पूर्वी राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम और सभी पूर्वोत्तर राज्य शामिल हैं।

मानसून को लेकर क्या है मौसम विभाग का अनुमान

भारत के पश्चिमी और मध्य क्षेत्रों में जून से सितंबर के महीनों के दौरान यानी 4 महीनों वार्षिक वर्षा का 90 फीसदी से अधिक हिस्सा प्राप्त होता है। मौसम विभाग ने पहले ही यह आगाह कर दिया था कि इस साल सामान्य से ज़्यादा बारिश होगी और 2024 में जून से सितंबर तक दक्षिण पश्चिम मानसून सामान्य से लगभग चार फीसदी ऊपर रहेगा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, साउथ वेस्ट मानसून उत्तरी अरब सागर के शेष भागों, गुजरात, राजस्थान के कुछ अन्य हिस्सों, मध्य प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ अन्य हिस्सों, बिहार, पूरे उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर के अधिकांश हिस्सों, पंजाब के हिस्सों में बढ़ चुका है ।

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