हवा-हवाई साबित हुआ किराया कैप: एयरलाइंस की मनमानी जारी, कनेक्टिंग फ्लाइट में कई गुना वसूली

नई दिल्ली। इंडिगो की मनमानी से उपजे संकट के बाद जब घरेलू हवाई किराए अचानक आसमान छूने लगे, तो नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 6 दिसंबर को दूरी के आधार पर अधिकतम बेस फेयर की सीमा तय कर दी। सरकार ने इसे “कड़ा कदम” बताया, लेकिन महज दो दिन बाद ही यह फार्मूला कई रूटों पर फेल होता नजर आया।
महानगरों के प्रमुख रूटों पर किराए में कुछ राहत जरूर दिखी, मगर छोटे शहरों और उन रूटों पर जहां सीधी उड़ानें नहीं हैं, एयरलाइंस ने कैप को पूरी तरह ताक पर रख दिया है। यात्रियों से तय सीमा से कई गुना ज्यादा किराया वसूला जा रहा है।
सरकार ने जो कैप तय की थी
0–500 किमी : ₹7,500
501–1000 किमी : ₹12,000
1001–1500 किमी : ₹15,000
1500 किमी से ऊपर : ₹18,000
लेकिन यह राहत कागजों पर ही सीमित रह गई।
एयरलाइंस ने नियम की यह ‘कमजोरी’ पकड़ीएयरलाइंस का दावा है कि कैप सिर्फ सीधी उड़ानों पर लागू होती है। दिशा-निर्देश में कहीं यह स्पष्ट नहीं कि कनेक्टिंग फ्लाइट के किराये पर भी कैप लागू होगा।यही loophole पकड़कर कंपनियों ने खेल कर दिया—
जहां सामान्य किराया 8–10 हजार होता था, वहीं सोमवार को कई रूटों पर 20–25 हजार रुपये तक वसूले गए।
यात्रियों को मजबूरी में महंगे टिकट लेने पड़े और कई ने खुद को “ठगा गया” बताते हुए सोशल मीडिया पर नाराजगी जताई।
यात्री सवाल कर रहे—कैप किसके लिए?
छोटे शहरों के यात्रियों का कहना है कि सरकार की यह व्यवस्था सिर्फ उन्हीं के लिए कारगर है, जिन रूटों पर सीधी उड़ानें हैं।बाकी लोगों को एयरलाइंस की मनमानी झेलनी पड़ रही है।उड्डयन विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक मंत्रालय यह स्पष्ट नहीं करता कि कैप सभी तरह की बुकिंग—सीधी और कनेक्टिंग दोनों—पर लागू होगी, तब तक यह कदम यात्रियों को राहत देने की बजाय उन्हें और उलझाएगा।
