जयपुर के आभूषण निर्यात पर संकट: अमेरिका के 50% टैरिफ से क्रिसमस ऑर्डर ठप

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जयपुर, 29 अगस्त 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लागू 50% टैरिफ ने जयपुर के आभूषण उद्योग को गहरे संकट में डाल दिया है। विश्व प्रसिद्ध जौहरी बाजार और गोपाल जी का रास्ता, जहां कारीगर कुंदन, मीनाकारी और पोल्की सेट जैसे पारंपरिक आभूषण बनाते हैं, अब चिंता और खामोशी की चपेट में है। रत्न और आभूषण जयपुर की अर्थव्यवस्था का आधार हैं और विदेशी मुद्रा कमाने का सबसे बड़ा स्रोत हैं, लेकिन इस टैरिफ ने उद्योग की चमक को खतरे में डाल दिया है।
जौहरी बाजार में सन्नाटा
जयपुर का जौहरी बाजार, जहां कारीगर उत्तम आभूषण तैयार करते हैं, और गोपाल जी का रास्ता, जहां रंग रत्नों और कीमती पत्थरों का व्यापार होता है, अब अनिश्चितता के साये में है। पन्ना, तंजानाइट, रूबीलाइट, मॉर्गनाइट और एक्वामरीन जैसे रंगीन रत्नों की कटाई-पॉलिशिंग जयपुर के निर्यात व्यापार का महत्वपूर्ण हिस्सा है। अमेरिकी टैरिफ के कारण निर्यात ऑर्डर पूरी तरह ठप हो गए हैं, और व्यापारियों को भारी नुकसान का डर सता रहा है।
जेम पैलेस पर संकट
जेम पैलेस के मालिक सुधीर कासलीवाल, जिनका परिवार पीढ़ियों से जयपुर के शाही परिवार का जौहरी रहा है, ने गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा, "अमेरिका को हमारे निर्यात ऑर्डर पूरी तरह रुक गए हैं। हमारे स्टोर पर आने वाले 70% विदेशी पर्यटक अमेरिकी हैं, और टैरिफ के कारण जयपुर में हमारी बिक्री पर भी असर पड़ रहा है। अमेरिकी पर्यटक अब खरीदारी से बच रहे हैं, क्योंकि उन्हें भारत में खरीदे गए आभूषणों पर भारी शुल्क देना होगा।"
क्रिसमस ऑर्डर रुके, खेप धूल फांक रही
जयपुर ज्वैलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष आलोक सोंखिया ने बताया, "हर साल इस समय तक क्रिसमस के ऑर्डर शुरू हो जाते थे, लेकिन इस बार एक भी ऑर्डर नहीं आया। कुछ निर्यातकों की खेप अमेरिका पहुंची है, लेकिन ग्राहक उसे उठा नहीं रहे।" जयपुर से अमेरिका को हर साल करीब 3,200 करोड़ रुपये के तैयार आभूषण और रंगीन रत्न निर्यात होते हैं, जो राजस्थान के कुल 18,000 करोड़ रुपये के रत्न और आभूषण निर्यात का अहम हिस्सा है। इस टैरिफ से आने वाले महीनों में उद्योग पर व्यापक प्रभाव पड़ने की आशंका है।
उद्योग पर आर्थिक प्रभाव
अमेरिका जयपुर के आभूषण व्यापारियों का सबसे बड़ा बाजार है, जो भारत के कुल रत्न और आभूषण निर्यात का 30% हिस्सा (लगभग 10 अरब डॉलर) लेता है। टैरिफ के कारण निर्यात में कमी से न केवल व्यापारियों, बल्कि जयपुर में रत्न कटाई-पॉलिशिंग और आभूषण निर्माण से जुड़े करीब 3 लाख कारीगरों और श्रमिकों की आजीविका खतरे में है। उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि यह टैरिफ भारत के वैश्विक प्रतिस्पर्धीपन को कमजोर करेगा और थाईलैंड, वियतनाम जैसे देशों को फायदा पहुंचाएगा।
उद्योग की मांग
जयपुर ज्वैलर्स एसोसिएशन के सचिव नीरज लुनावत ने कहा, "यह टैरिफ न केवल व्यापारिक प्रतिबंध है, बल्कि जयपुर की कारीगरी की विरासत पर सीधा प्रहार है।" उद्योग ने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है, जिसमें ड्यूटी ड्रॉबैक योजना, कार्यशील पूंजी में राहत, और विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) में रिवर्स जॉब वर्क की अनुमति शामिल है।
निष्कर्ष
जयपुर का आभूषण उद्योग, जो अपनी शिल्पकला और विरासत के लिए विश्व में जाना जाता है, अब अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहा है। सरकार और उद्योग संगठनों को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है ताकि जयपुर की यह चमक बरकरार रहे और हजारों कारीगरों की आजीविका सुरक्षित हो सके
