माल बेचने वाले ने टैक्स नहीं चुकाया तो खरीदार से वसूली: GST नोटिस से व्यापार जगत में हड़कंप,

भीलवाड़ा/इंदौर।
मध्यप्रदेश में व्यापारियों के बीच इन दिनों जीएसटी विभाग के नए नोटिसों ने भारी चिंता और खलबली पैदा कर दी है। कारण—यदि किसी सप्लायर ने बीते समय में बेचे गए माल का टैक्स नहीं चुकाया है, तो अब उसका बोझ उस माल को खरीदने वाले व्यापारी पर डाला जा रहा है। पिछले तीन दिनों में ही इंदौर और आसपास के क्षेत्रों के सैकड़ों व्यापारियों को ऐसे नोटिस जारी हो चुके हैं, जबकि पूरे मप्र में यह संख्या हजारों में पहुंच चुकी है।
इन नोटिसों में खरीदारों से कहा जा रहा है कि उन्होंने जिन बिलों पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) लिया था, उन सप्लायरों ने अपना जीएसटी जमा नहीं किया है। इसलिए खरीदार को अब वह ITC 30 नवंबर तक वापस सरकार के खाते में जमा करना होगा। तय समय में राशि जमा नहीं की गई तो 18% वार्षिक ब्याज भी देना पड़ेगा।
व्यापारी और CA परेशान—सवाल उठ रहा है जवाबदेही का
इन नोटिसों के बाद व्यापारियों के साथ चार्टर्ड अकाउंटेंट और टैक्स सलाहकार भी उलझन में हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि—
➡️ जब टैक्स जमा करने की जिम्मेदारी सप्लायर की है, तो खरीदार से उसकी वसूली कैसे की जा सकती है?
➡️ महीनों–सालों बाद ऐसे टैक्स की मांग करना कितना व्यावहारिक है?
कई व्यापारियों का कहना है कि व्यापार तो एक बार का था, सप्लायर ने कारोबार बंद कर दिया, संपर्क नहीं है—ऐसी स्थिति में वे आखिर टैक्स वसूली की जिम्मेदारी कैसे उठा सकते हैं?
यह है नोटिसों का पूरा जाल
1. GSTR-1 (हर माह 11 तारीख तक)
सप्लायर इसमें बताएगा कि किसे कितना माल बेचा। यही डेटा खरीदार को GSTR-2B में दिखता है।
2. GSTR-3B (हर माह 20 या 22 तारीख तक)
इसमें सप्लायर को अपना कुल टैक्स दायित्व दिखाकर टैक्स जमा करना होता है।
3. समस्या कहां आई?
कई सप्लायरों ने
GSTR-3B दाखिल नहीं की
टैक्स जमा नहीं किया
या रिटर्न सितंबर तक पेंडिंग छोड़ दी
ऐसे में खरीदारों द्वारा जो ITC लिया गया, वह अब अवैध माना जा रहा है और उसे “रिवर्स” करने का दबाव डाला जा रहा है।
CA का बयान — यह पूरी व्यवस्था अव्यावहारिक
इंदौर के चार्टर्ड अकाउंटेंट अमित मेहता ने कहा—
✔️ हजारों नोटिस कुछ ही दिनों में जारी हुए हैं।
✔️ जिस सप्लायर से माल खरीदा था, वह अब व्यापार ही बंद कर चुका है—खरीदार कैसे उस तक पहुंचे?
✔️ टैक्स वसूली सरकार का काम है, खरीदार पर डाला गया यह बोझ मनमाना है।
✔️ जीएसटी विभाग कह रहा है कि अगर आगे चलकर सप्लायर टैक्स जमा कर देगा तो ITC वापस मिल जाएगी—यह भी अनुचित है।
व्यापारी वर्ग में गहरा असंतोष
व्यापारियों का कहना है कि—
➡️ सरकार को समय पर सप्लायर से टैक्स वसूलना चाहिए था।
➡️ किसी अन्य व्यापारी की गलती का दंड खरीदार पर थोपना न्यायसंगत नहीं।
इस मुद्दे को लेकर व्यापारिक संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है और जल्द ही इस पर व्यापक कार्रवाई या प्रतिनिधिमंडल भेजने की तैयारी की जा रही है।
