टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत, जांच के दौरान गैर जरूरी सवाल नहीं पूछेंगे आईटी अफसर

टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत, जांच के दौरान गैर जरूरी सवाल नहीं पूछेंगे आईटी अफसर
X

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे करदाताओं की जांच या मूल्यांकन के दौरान भेजे गए नोटिस में ‘उचित सोच’ और ‘विवेक’ का इस्तेमाल करें। सभी प्रश्न ‘प्रासंगिक’ और ‘विशिष्ट’ होने चाहिए, ताकि करदाताओं को बेवजह परेशान न किया जाए.फेसलेस असेसिंग ऑफिसर पर विशेष जिम्मेदारी

सीबीडीटी के चेयरमैन रवि अग्रवाल के कार्यालय से क्षेत्रीय प्रमुखों (पीसीसीआईटी) को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि फेसलेस असेसिंग ऑफिसर (एफएओ) द्वारा पूछे गए सवालों को संबंधित केस की परिस्थिति के अनुसार होना चाहिए. मूल्यांकन इकाई प्रमुख (अतिरिक्त या संयुक्त आयुक्त) को इन नोटिसों की गुणवत्ता के लिए प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार ठहराया गया है.

‘अटपटे’ और ‘अप्रासंगिक’ प्रश्नों पर रोक

सीबीडीटी ने स्पष्ट किया है कि आयकर अधिकारियों को ऐसे कोई प्रश्न नहीं पूछने चाहिए, जो अप्रासंगिक हों या करदाता के मामले से संबंधित न हों. पर्यवेक्षी अधिकारियों से आग्रह किया गया है कि वे इस बात की निगरानी करें कि मूल्यांकन अधिकारी जांच के चयन मानदंडों के तहत ही सवाल पूछें.

प्रश्नों में हो स्पष्टता और कर कानूनों पर आधारित सोच

बोर्ड ने यह भी कहा है कि कर निर्धारण अधिकारी द्वारा पूछे गए सवाल प्रत्यक्ष कर कानून और नियमों पर आधारित हों और उसमें स्पष्ट सोच दिखाई दे. इस पहल का उद्देश्य करदाताओं को परेशान किए बिना सटीक और आवश्यक जानकारी प्राप्त करना है.

नियमित समीक्षा और अनुपालन की रिपोर्ट अनिवार्य

सीबीडीटी ने पीसीसीआईटी को निर्देश दिया है कि वे कर अधिकारियों के साथ नियमित बैठक करें, इन निर्देशों की समीक्षा करें और यह सुनिश्चित करें कि दिशानिर्देशों का पालन हो रहा है. साथ ही, मूल्यांकन आदेशों की गुणवत्ता पर हर महीने रिपोर्ट भी भेजी जाए.

वर्ष 2025-26 के लिए जारी किए गए जांच मानदंड

सीबीडीटी ने 13 जून को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए आयकर रिटर्न की पूर्ण जांच के लिए अनिवार्य चयन से जुड़े वार्षिक दिशानिर्देश और प्रक्रिया भी जारी की है. यह कदम कर प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की दिशा में उठाया गया है, जिससे ईमानदार टैक्सपेयर्स को राहत मिल सके.

Tags

Next Story