कॉटन के दाम गिरने से यार्न मार्केट पर असर, बुरहानपुर में घटी आवक और कपड़ा उत्पादन

बुरहानपुर | अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास के भाव में आई गिरावट का असर अब देश के यार्न और कपड़ा उद्योग पर भी साफ दिखने लगा है। पहले जहां बुरहानपुर में हर दिन करीब 15 गाड़ियां यार्न की आती थीं, वहीं अब यह संख्या घटकर लगभग 10 गाड़ियों तक रह गई है।
यार्न व्यापारियों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कॉटन सस्ता होने से भारत के बाजार पर भी असर पड़ा है। अमेरिका और ब्राजील से आने वाला कपास फिलहाल भारतीय कपास से करीब 5 प्रतिशत सस्ता है, जिसके चलते वहां से आपूर्ति बढ़ी है।
साउथ भारत के इलाकों में यार्न तैयार कर सप्लाई किया जा रहा है, जबकि बुरहानपुर में पिछले पंद्रह दिनों से साइजिंग यूनिट्स बंद हैं, जिससे स्थानीय उत्पादन पर भी असर पड़ा है। 60 नंबर यार्न, जिससे कॉटन कपड़ा बनता है, उसका भाव 290 रुपए से घटकर 275 रुपए प्रति किलो पर आ गया है।
याने एसोसिएशन के अशोक अग्रवाल ने बताया कि कपास से यार्न तैयार किया जाता है और फिलहाल अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास की तेजी नहीं दिख रही है। बुरहानपुर में यार्न की आवक मुख्य रूप से कोयंबटूर, महाराष्ट्र और पंजाब से होती है, जिससे यहां कैमरिक और अन्य कॉटन कपड़े बनते हैं। वर्तमान में मांग घटने और कच्चे माल के दामों में गिरावट से उत्पादन पर दबाव बना हुआ है।
