रिकॉर्ड निचले स्तर पर जा सकती हैं एफडी की ब्याज दरें, अच्छा रिटर्न चाहिए तो यही आखिरी मौका

भारतीय रिजर्व बैंक ने इस साल एक बार फिर रेपो रेट घटा दिया है। नई कटौती के साथ प्रमुख ब्याज दर में शून्य दशमलव पच्चीस प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। इससे फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करने वालों की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि बैंकों और स्मॉल फाइनेंस बैंकों में एफडी पर मिलने वाला रिटर्न पहले ही कम हो चुका है और अब इसमें और गिरावट की आशंका है।
इस वर्ष रेपो रेट में कुल एक दशमलव पच्चीस प्रतिशत की कटौती हो चुकी है। फरवरी और अप्रैल की मौद्रिक नीति बैठकों में पच्चीस पच्चीस आधार अंक की कमी की गई थी, जबकि जून में पचास आधार अंक घटाए गए थे। अगस्त और अक्टूबर में दरें स्थिर रहीं, मगर अब ताजा कटौती के बाद रेपो रेट छह दशमलव पांच प्रतिशत से घटकर पांच दशमलव पच्चीस प्रतिशत रह गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि पहले की तीन कटौतियों का असर भी एफडी दरों में पूरी तरह दिखाई नहीं दिया था, इसलिए नई कटौती के बाद बैंक ब्याज दरों को और नीचे ला सकते हैं।निवेश सलाहकारों का मानना है कि जिन निवेशकों को स्थिर रिटर्न की जरूरत है, खासकर रिटायर कर्मचारियों को, उन्हें मौजूदा अपेक्षाकृत ऊंची दरों का लाभ उठाते हुए लंबी अवधि की फिक्स्ड डिपॉजिट करा लेनी चाहिए। नई कटौती का असर पहले से चल रही एफडी पर नहीं पड़ेगा, लेकिन नई एफडी कराने वालों को कम ब्याज दर मिलेगी।ब्याज दर घटने से निवेशकों को कितना नुकसान हो सकता है, इसे आसान उदाहरण से समझा जा सकता है। यदि पांच साल की एफडी पर ब्याज दर छह प्रतिशत से घटकर पांच दशमलव पचहत्तर प्रतिशत रह जाती है, तो पांच लाख रुपये की जमा राशि मैच्योरिटी पर छह लाख तिहत्तर हजार से घटकर छह लाख पैंसठ हजार के करीब रह जाएगी। इस तरह निवेशक को पांच साल में आठ हजार से अधिक का नुकसान हो सकता है।
