विदेश में संपत्ति छिपाना पड़ेगा महंगा, आयकर विभाग की रडार पर पच्चीस हजार से अधिक लोग

विदेश में संपत्ति छिपाना पड़ेगा महंगा, आयकर विभाग की रडार पर पच्चीस हजार से अधिक लोग
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नई दिल्ली

विदेशों में संपत्ति और आय छिपाने वालों पर अब आयकर विभाग का शिकंजा और कसने वाला है। विभाग ने पच्चीस हजार से ज्यादा ऐसे लोगों की सूची तैयार कर ली है जिन पर संदेह है कि उन्होंने अपनी विदेशी संपत्ति या आय की सही जानकारी नहीं दी है। इनमें वे लोग भी शामिल हैं जिनके खिलाफ अलग अलग स्रोतों से सूचना मिली है कि उनकी आमदनी भारत में दिखाए गए आंकड़ों से मेल नहीं खाती।

सूत्रों के अनुसार विभाग ने हाल के वर्षों में कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों, वित्तीय संस्थानों और सूचना साझेदारी तंत्र से प्राप्त डेटा का मिलान किया है। इस प्रक्रिया में बड़ी संख्या में ऐसे भारतीय नागरिक और एनआरआई सामने आए हैं जिनके विदेशी खाते, निवेश या अचल संपत्ति का खुलासा आयकर रिटर्न में नहीं किया गया था।

अब इन मामलों की विस्तृत जांच शुरू होने जा रही है। विभाग संदिग्ध मामलों में नोटिस भेजने की तैयारी में है। अगर जांच में संपत्ति छिपाने की पुष्टि होती है तो भारी जुर्माना और कानूनी कार्रवाई दोनों का सामना करना पड़ सकता है। ब्लैक मनी से जुड़े प्रावधानों के तहत दंड की राशि संपत्ति के मूल्य से कई गुना तक हो सकती है।

अधिकारियों का कहना है कि विदेशी संपत्ति और आय की सही घोषणा करना हर करदाता की कानूनी जिम्मेदारी है। सरकार लगातार वैश्विक स्तर पर वित्तीय पारदर्शिता समझौतों पर काम कर रही है ताकि विदेशों में जमा काले धन पर सख्त कार्रवाई की जा सके।

आयकर विभाग की इस तैयार सूची के सामने आने के बाद माना जा रहा है कि आने वाले महीनों में कई बड़े मामलों का खुलासा होगा और विदेश में संपत्ति छिपाने वालों पर सख्त कदम उठाए जाएंगे।

क्यों हो रही है यह सख्ती?

अंतरराष्ट्रीय सहयोग**: भारत 125 से अधिक देशों के साथ जानकारी साझा करने वाले समझौतों (जैसे CRS - Common Reporting Standard और FATCA - Foreign Account Tax Compliance Act) में शामिल है। इनके जरिए विदेशी बैंक खाते, डिपॉजिट, ब्याज, लाभांश और संपत्तियों की रीयल-टाइम जानकारी भारत को मिलती रहती है। छिपाना अब लगभग असंभव हो गया है।

कानूनी प्रावधान**: आयकर अधिनियम 1961 की धारा 43 और शेड्यूल FA के तहत सभी भारतीय निवासियों को विदेशी संपत्तियों (जैसे अचल संपत्ति, बैंक खाते, शेयर, इक्विटी, कर्ज या अन्य पूंजीगत एसेट) का खुलासा आईटीआर में अनिवार्य रूप से करना पड़ता है।

- **पिछले आंकड़े**: सख्ती से पहले ही 30,000 से अधिक लोगों ने स्वेच्छा से अपनी विदेशी संपत्तियों (कुल मूल्य 29,000 करोड़ रुपये) का खुलासा कर दिया। विभाग पहले नोटिस भेजकर मौका देता है, लेकिन अब स्वचालित जांच बढ़ेगी।

#### छिपाने पर क्या सजा होगी?

- **आर्थिक दंड**: 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है। इसके अलावा, छिपाई गई आय पर 90% तक टैक्स + ब्याज लगेगा।

- **कानूनी कार्रवाई**: ब्लैक मनी (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) अधिनियम 2015 के तहत यह अपराध माना जाएगा, जिसमें 7 साल तक की जेल और संपत्ति जब्ती शामिल है।

- **अन्य जोखिम**: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) विदेशी कंपनियों के जरिए अप्रत्यक्ष संपत्ति जमा करने पर नजर रख रहा है, खासकर ब्रिटेन जैसी जगहों पर। सालाना 2.5 लाख डॉलर से अधिक विदेश भेजना बिना अनुमति के अवैध है।

आईटीआर में कैसे खुलासा करें?

1. **शेड्यूल FA भरें**: ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉगिन करें और 'Foreign Assets' सेक्शन में डिटेल्स डालें – जैसे संपत्ति का प्रकार, देश, मूल्य (1 अप्रैल को), और आय (ब्याज, लाभांश आदि)।

2. **जरूरी दस्तावेज**: पासपोर्ट, बैंक स्टेटमेंट, प्रॉपर्टी डीड या निवेश प्रमाण-पत्र रखें।

3. **डेडलाइन**: वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आईटीआर जुलाई 2026 तक, लेकिन जल्दी फाइल करें ताकि नोटिस से बचें।

4. **यदि गलती हो**: स्वैच्छिक खुलासा (Voluntary Disclosure) से जुर्माना कम हो सकता है, लेकिन दोहराने पर छूट नहीं।

#### सलाह: पारदर्शिता ही बेहतर

विदेशी निवेश बढ़ रहा है, लेकिन छिपाना जोखिम भरा है। विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर खुलासा करने से न केवल जुर्माने से बचा जा सकता है, बल्कि वैध निवेश पर टैक्स लाभ भी मिल सकता है। यदि आपके पास विदेशी संपत्ति है, तो तुरंत चार्टर्ड अकाउंटेंट से सलाह लें। विभाग की नई पहल से टैक्स चोरी पर लगाम लगेगी, लेकिन ईमानदार टैक्सपेयर्स के लिए यह पारदर्शिता बढ़ाएगी।

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