रेलवे अब सीधे कंटेनरों से सीमेंट पहुंचाएगा निर्माण स्थलों तक

नई दिल्ली। अब सीमेंट बोरियों में पैक करके नहीं बल्कि विशेष रूप से तैयार किए गए रेल कंटेनरों के जरिये सीधे निर्माण स्थलों तक पहुंचेगा। रेलवे की सहायक कंपनी कानकोर ने ऐसा अत्याधुनिक कंटेनर विकसित किया है, जो बल्क सीमेंट को बिना पैकेजिंग के सीधे मिक्सिंग मशीन तक पहुंचाएगा।
नई सीमेंट लॉजिस्टिक नीति के लागू होने से परिवहन लागत में 15 प्रतिशत तक कमी आ सकती है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव जल्द इसकी घोषणा कर सकते हैं। इस पहल को सीमेंट उद्योग और निर्माण क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव माना जा रहा है।
अब तक सीमेंट फैक्ट्रियों से बोरियों में भरकर ट्रकों से भेजा जाता था, जिससे हैंडलिंग में कठिनाई, धूल प्रदूषण और उच्च पैकेजिंग व ट्रांसपोर्ट खर्च होता था।
नई नीति के अनुसार, सीमेंट कंटेनरों में बड़ी मात्रा में लोड होकर गंतव्य तक पहुंचेगा और वहां से सीधे निर्माण स्थल की मिक्सिंग यूनिट में ट्रांसफर किया जाएगा। इससे पैकेजिंग की जरूरत नहीं रहेगी और अनावश्यक बर्बादी भी कम होगी।
**रेलवे की हिस्सेदारी बढ़ेगी**
भारत में वर्तमान में सीमेंट ढुलाई का लगभग 65 प्रतिशत हिस्सा ट्रकों के माध्यम से होता है, जबकि रेलवे की हिस्सेदारी मात्र 35 प्रतिशत है। नई नीति के तहत रेलवे इस अनुपात को पलटना चाहता है, क्योंकि रेल सस्ता, सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल माध्यम है।
कानकोर द्वारा तैयार कंटेनर जंगरोधी मिश्र धातु से बने हैं, जिनमें वायुरोधी ढक्कन लगे हैं। सीमेंट कंपनियों को इसे लीज या रेंट पर लेने का विकल्प मिलेगा। यदि यह मॉडल सफल हुआ, तो इसे फ्लाई ऐश और अन्य बल्क मटेरियल्स के परिवहन में भी अपनाया जा सकेगा।
निजी भागीदारी को बढ़ावा
नई नीति में निजी कंपनियों को भी कंटेनर ट्रेनों का शेड्यूल तय करने का विकल्प मिलेगा। यह टाइम-टेबल्ड फ्रेट सर्विस की तरह काम करेगी, जिससे उद्योगों को समयबद्ध माल आपूर्ति और उत्पादन योजना बनाने में मदद मिलेगी।
**ग्रीन लॉजिस्टिक्स और अपशिष्ट कम करना**
इस पहल का एक और उद्देश्य ग्रीन लॉजिस्टिक्स है। रेलवे अगले पांच वर्षों में सीमेंट और अन्य निर्माण सामग्रियों के परिवहन से कार्बन उत्सर्जन में 20 लाख टन तक की कमी लाने का लक्ष्य रखता है। इसके अलावा बोरियों और प्लास्टिक पैकेजिंग से होने वाले अपशिष्ट को कम करना भी प्रमुख उद्देश्य है।
