दो हजार करोड़ के जीएसटी घोटाले की जांच: एसआइबी ने फर्जी बिलिंग और ई-वेबिल नेटवर्क का भौतिक और डिजिटल सत्यापन शुरू किया, कई ठेकेदार और फर्म संचालक जल्द पकड़ में आने की संभावना

मुरादाबाद। दो हजार करोड़ रुपये के कारोबार पर करीब 370 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी के मामले में विशेष अनुसंधान शाखा (एसआइबी) की जांच निर्णायक चरण में प्रवेश कर चुकी है। प्रारंभिक जांच में बरेली, संभल, रामपुर, धामपुर और मुरादाबाद के कई ठेकेदारों के नाम सामने आए हैं। जांच में यह भी पता चला है कि मामला केवल फर्जी फर्मों तक सीमित नहीं है, बल्कि कई स्तरों पर गड़बड़ियां उजागर हो रही हैं।
जांच में फर्जी खरीद और बिक्री के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट पास किए जाने की पुष्टि हो चुकी है। टीम यह पता लगा रही है कि किन ठेकेदारों ने बिलिंग नेटवर्क का इस्तेमाल कर लेनदेन बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया और किस तरह ई-वेबिल के जरिये काल्पनिक माल परिवहन दिखाकर जीएसटी की चोरी की गई। अधिकारियों के अनुसार फर्जी बिलिंग सिंडिकेट के तार कई जनपदों से जुड़े हैं और आगे जांच में और लोग सामने आएंगे।
एसआइबी के अपर आयुक्त आरए सेठ के अनुसार, कई फर्मों के ई-वेबिल जनरेट होने के पैटर्न की पड़ताल की जा रही है। कुछ मामलों में फर्म मालिकों की जगह चार्टर्ड अकाउंटेंट के आईपी एड्रेस से ई-वेबिल जारी हुए हैं। इसका मतलब है कि फर्मों का पूरा डिजिटल नियंत्रण किसी तीसरे पक्ष के पास था।
जांच टीमें एक-एक ई-वेबिल के स्रोत तक जाकर नेटवर्क की भूमिका और संचालन का पता लगा रही हैं। मुरादाबाद शहर में स्थानीय फर्मों का भौतिक सत्यापन भी शुरू कर दिया गया है। पुराने शहर के उन इलाकों में टीमें जा रही हैं, जहां बड़ी संख्या में फर्म पंजीकृत हैं।
विशेष रूप से सेंट्रल जीएसटी में पंजीकृत फर्मों का सत्यापन किया जा रहा है। कई फर्मों ने लगातार ई-वेबिल जारी किए, लेकिन उनके कार्यालय या गोदाम मौजूद नहीं हैं। टीमें फर्मों के दस्तावेज, किरायानामा, बिजली बिल, स्टॉक और स्थानीय गवाहों से जानकारी जुटा रही हैं। यदि फर्म या गोदाम नहीं मिलता, तो उसका पंजीकरण रद्द किया जाएगा।
एसआइबी ने ठेकेदारों और फर्म संचालकों की पूरी 'कुंडली' तैयार कर ली है। इसमें बैंक खातों की गतिविधि, भुगतान के तरीके, जीएसटीआर भरने के पैटर्न, आइटीसी क्लेम, ई-वेबिल की संख्या और माल परिवहन के वास्तविक सबूत शामिल हैं। जांच में कई ऐसी फर्म भी मिली हैं जिनका टर्नओवर करोड़ों में दिखाया गया, लेकिन वास्तविक स्थिति केवल एक छोटी दुकान या बंद कमरे की थी।
