ट्रेनों में भी शुरू होगी एयरप्लेन जैसी हाई-टेक सैनिटाइजेशन तकनीक,: यूवीसी ट्रायल सफल; वंदे भारत-शताब्दी-राजधानी के कोच मिनटों में होंगे कीटाणुरहित

यूवीसी ट्रायल सफल; वंदे भारत-शताब्दी-राजधानी के कोच मिनटों में होंगे कीटाणुरहित
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नई दिल्ली। भारतीय रेलवे अब ट्रेनों के कोच को भी उसी तकनीक से सैनिटाइज करने जा रहा है, जो हवाई जहाजों और बड़े अस्पतालों में उपयोग होती है। अल्ट्रा वायलट सी (यूवीसी) बैंड तकनीक से कोचों को मिनटों में संक्रमणमुक्त किया जाएगा। दिल्ली रेल मंडल में इसका परीक्षण पूरी तरह सफल रहा है, जिसके बाद अन्य मंडलों में भी इसे प्रायोगिक तौर पर लागू करने की तैयारी शुरू हो गई है। इस पूरे प्रोजेक्ट की निगरानी अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) करेगा।

दिल्ली मंडल ने पिछले एक वर्ष के दौरान नई दिल्ली–रानी कमलापति शताब्दी (12002), नई दिल्ली–लखनऊ स्वर्ण जनशताब्दी (12004/12005), नई दिल्ली–अजमेर शताब्दी (12015), नई दिल्ली–कालका शताब्दी (12011), नई दिल्ली–अमृतसर शताब्दी (12013), नई दिल्ली–काठगोदाम शताब्दी (12040), नई दिल्ली–डिब्रुगढ़ राजधानी एक्सप्रेस (12424/12425) और नई दिल्ली–माता वैष्णो देवी कटरा वंदे भारत एक्सप्रेस (22439) में इस तकनीक का ट्रायल किया। सभी मामलों में मशीन ने कोच को पूरी तरह और तेजी से सैनिटाइज किया।

यूवीसी मशीन रिमोट कंट्रोल से संचालित होती है और कुछ ही मिनटों में पूरे कोच को कीटाणुरहित कर देती है। अधिकारियों के अनुसार इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह उन जगहों तक भी पहुंच जाती है, जहां सामान्य सफाई या स्प्रे से सैनिटाइजेशन संभव नहीं होता। मानव संपर्क की जरूरत नहीं पड़ने के कारण यह प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित और तेज है।

सरकार द्वारा प्रमाणित प्रयोगशालाओं में हुए परीक्षणों में पाया गया कि यूवीसी तकनीक 99.99 प्रतिशत तक जीवाणुओं व कीटाणुओं को नष्ट कर देती है। इस तकनीक को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने भी अनुमोदित किया है। वाशिंग लाइन पर इसे इंस्टॉल और संचालित करना सरल है, जिससे बड़े पैमाने पर इसका उपयोग आसान होगा।

उत्तर रेलवे ने करीब एक साल तक परीक्षण करने के बाद अपनी रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को भेजी। अध्ययन के बाद रेलवे बोर्ड ने सभी जोनों को निर्देश दिया है कि आरडीएसओ की निगरानी में एक वर्ष तक यूवीसी तकनीक को प्रायोगिक स्तर पर अपनाया जाए। इसमें उत्तर रेलवे के अनुभव को आधार बनाने की सलाह दी गई है।

अधिकारियों का कहना है कि यह तकनीक पानी, हवा और सतह - तीनों स्तरों पर संक्रमण का खतरा कम करती है। ट्रेन जैसी बंद और भीड़भाड़ वाली जगहों में यह विशेष रूप से उपयोगी साबित हो सकती है। यह पूरी तरह रसायन-मुक्त और पर्यावरण-अनुकूल सिस्टम है। इसे एचवीएसी (हीटिंग-वेंटिलेशन-एयर कंडीशनिंग) सिस्टम के साथ भी एकीकृत किया जा सकता है, जिससे चलती ट्रेन में हवा लगातार शुद्ध होती रहेगी।

रेलवे बोर्ड से अंतिम अनुमति मिलते ही देशभर में नियमित रूप से इसका उपयोग शुरू कर दिया जाएगा।

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