आप रह सावधान: फर्जी रसीद को आसानी से पकड़ सकता है.आयकर विभाग

फर्जी रसीद को आसानी से पकड़ सकता है.आयकर विभाग
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टैक्स की बचत करना हर टैक्सपेयर का हक है. पुरानी इनकम टैक्स रिजीम हो या न्यू इनकम टैक्स रिजीम, दोनों में ही आपको कई धाराओं के तहत टैक्स बचाने का मौका दिया गया है. जहां तक टैक्स पेयर टैक्स बचाने के लिए सही तरीकों का इस्तेमाल करते हैं, वहां तक यह ठीक है, लेकिन कुछ टैक्स पेयर्स इसके लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल भी करते हैं. ऐसे लोग टैक्स रिफंड पाने के लिए या छूट लेने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेते हैं. सी ए अमित महेता ने बताया की अब AI के जमाने में आयकर विभाग के पास भी ऐसे लोगों की चालाकी पकड़ने के लिए तमाम तरह के हथियार आ गए हैं. आइए आपको वो तरीके बताते हैं, जिनके जरिये आयकर विभाग आपकी तरफ से दी गई किराये की फर्जी रसीद को आसानी से पकड़ सकता है.

आयकर विभाग ने दस्तावेजों की पहचान के लिए AI का उपयोग शुरू कर दिया है. इसके लिए आयकर विभाग आपके फॉर्म-16 का मिलान AIS Form और फॉर्म- 26एएस के साथ करता है, क्योंकि पैन कार्ड से जुड़े आपके सभी लेन-देन इन फॉर्मों के तहत दर्ज किए जाते हैं. जब भी टैक्सपेयर किराये की रसीदों के जरिये HRA क्लेम करता है, तो आयकर विभाग उसके दावे का मिलान इन फॉर्मों से करता है. यदि इस दावे में कोई भी अंतर पाया जाता है, तो वह तत्काल पकड़ में आ जाता है. यह काम AI की मदद से ऑटोमेटिकली हो जाता है.

हाउस रेंट अलाउंस के लिए क्या हैं नियम?

आयकर कानून में HRA से जुड़े नियम के मुताबिक, कोई भी HRA का दावा उसी स्थिति में कर सकता है, यदि उसकी कंपनी उसे एचआरए अलाउंस दे रही है. इसके अलावा यदि कोई कर्मचारी सालाना 1 लाख रुपये से ज्यादा रकम किराये के तौर पर पेमेंट कर रहा है तो उसे अपने मकान मालिक का पैन नंबर भी उपलब्ध कराना होगा. आयकर विभाग आपकी तरफ से HRA के तहत क्लेम की गई रकम को आपके मकान मालिक के पैन नंबर के जरिये उसे भेजी गई रकम से मैच करता है. आपको यह भी बता दें कि PAN CARD के तहत किए गए सभी लेनदेन आपके AIS Form में दर्ज होते हैं. यदि इन दोनों के बीच किसी भी तरह का अंतर दिखता है तो आपको आयकर विभाग नोटिस भेज सकता है.

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