आईपीसी और सीपीआरपीसी की छुट्टी,नया कानून 1 से: अदालत या थाने के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं, अब समन भी मोबाइल पर, बयान न्यायश्रुति प्लेटफार्म पर

अदालत या थाने के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं, अब समन भी मोबाइल पर, बयान न्यायश्रुति प्लेटफार्म पर
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दिल्ली। देश में लोगो को जल्द न्याय मिले इसके लिए विश्व की सबसे अच्छी व्यवस्था 1 जुलाई से भारत में लागू होने जा रही है ,इसकी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है, आधुनिकतम आपराधिक न्याय प्रणाली के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म और एप तैयार हैं। इस नई व्यवस्था से न्याय न केवल सुगम होगा बल्कि त्वरित गति से जांच होने से मुकदमों का फैसला भी जल्द किया जा सकेगा।

विदेशी तेज पर नई व्यवस्था में किसी को गवाही के लिए अदालत या पुलिस थाने जाने की जरूरत नहीं है। लोग अपने स्थान से ही गवाही दे सकेंगे। यही नहीं, इससे पुलिस की क्षमता भी बढ़ेगी क्योंकि उसे घंटों तक कोर्ट में इंतजार नहीं करना पड़ेगा। वे भी अपने बयान न्यायश्रुति प्लेटफार्म पर दर्ज करा सकते हैं, गवाही के दिन उन्हें इसका लिंक भेजा जाएगा।



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New Criminal Laws: अदालत या थाने जाने की जरूरत नहीं, ऐसे होगी सुनवाई; जानिए नए कानून की खासियतें

एक जुलाई से नई आपराधिक न्याय प्रणाली शुरू होने जा रही है। ये अंग्रेजों के जमाने में बनाए गए आईपीसी सीआरपीसी और इंडियन एवेडेंस एक्ट की जगह लेंगे। दैनिक जागरण आज से एक सीरीज सुगम होगा न्याय आरंभ कर रहा है जिसमें आपको आपराधिक न्याय प्रणाली में होने वाले हर अहम बदलाव से परिचित कराने के साथ यह भी बताया जाएगा कि इसका आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

आईपीसी और सीपीआरपीसी की छुट्टी

देश में 30 जून की रात 12 बजने के साथ ही अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानून समाप्त हो जाएंगे। 1 जुलाई से इनकी जगह तीन नए आपराधिक कानून लागू हो जाएंगे।इस नए कानून के लागू होने के बाद, देश में आईपीसी और सीपीआरपीसी की छुट्टी हो जाएगी। अब किसी भी अपराध की एफआईआर किसी भी थाने में दर्ज कराई जा सकेगी।इसके अलावा, भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC), और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह नए क्रिमिनल कानून देश में लागू होंगे। भारतीय दंड संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) लागू होंगे

ब समन SMS, वाट्सएप और ईमेल पर

पुलिस को अपराध से जुड़े सारे सुबूत ई-साक्ष्य एप पर अनिवार्य रूप से अपलोड करने होंगे। इसी तरह से आरोपितों और गवाहों को बुलाने के लिए उनके घर समन भेजने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्हें एसएमएस, वाट्सएप या ईमेल पर इलेक्ट्रोनिक समन (ई-समन) भेजकर बुलाया जा सकता है।

सभी जेलों में न्यायश्रुति प्लेटफॉर्म उपलब्ध

न्यायश्रुति प्लेटफार्म को सभी पुलिस थानों, अदालतों, जिलाधिकारी या उप आयुक्तों के साथ ही एसडीएम के कार्यालय में स्थापित किया जा रहा है। जेल अधिकारियों और वहां के कैदियों को ई-गवाही की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सभी जेलों में न्यायश्रुति प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया जा रहा है।

अस्पतालों में भी न्यायश्रुति की सुविधा

इसी तरह से डॉक्टरों और उपचाराधीन गवाहों के लिए सभी अस्पतालों में भी न्यायश्रुति की सुविधा उपलब्ध होगी। नई प्रणाली के तहत किसी की गवाही की जरूरत पड़ने पर पुलिस, जिलाधिकारी, एसडीएम या अदालत ई-समन भेजकर गवाह को तलब करेंगे, लेकिन साथ ही न्यायश्रुति प्लेटफार्म के सहारे उसे गवाही के समय और तारीख के साथ एक लिंक भेजा जाएगा।

नलाइन दर्ज हो सकेंगे बयान

तय समय पर गवाह कोर्ट, थाना या फिर अपने स्थान से ही अपने कंप्यूटर, लैपटाप या मोबाइल पर इस लिंक को खोलकर अपना बयान दर्ज करा सकता है। इसी तरह पुलिस अधिकारी भी इसी न्यायश्रुति प्लेटफार्म के जरिये अदालत के सामने अपना बयान दर्ज करा सकता है।

यह आ सकती है समस्या

ग्रामीण और अनपढ़ हा लोगों के लिए समस्या आ सकती है कई लोगों के पास अभीमोबाइल नहीं है और ऐसे लोग टेक्नोलॉजी के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते।




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