भारत-अमेरिका का टेक्नोलॉजी में आगे रहना जरूरी : डोभाल
भारत और अमेरिका को अत्याधुनिक तकनीक के विकास और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सबसे आगे खड़े रहने की आवश्यकता है। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने अपने अमेरिकी समकक्ष जैक सुलिवन की मौजूदगी में ये बातें कहीं। इससे एक दिन पहले अमेरिका के एनएसए जैक सुलिवन ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), महत्वपूर्ण खनिज, उन्नत दूरसंचार और रक्षा क्षेत्र के क्षेत्रों में भारत और अमेरिका के सहयोग को और भी अधिक मजबूत करने की बात कही थी।
'भारत-अमेरिका को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आगे रहना होगा'
अजीत डोभाल ने कहा कि अपने नैतिक मूल्यों की रक्षा के लिए अमेरिका और भारत को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सर्वोपरि रहना होगा। उन्होंने कहा कि यह एक बड़े रणनीतिक हित का हिस्सा भी है। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) ने आईसीईटी (महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकी पर भारत-अमेरिका पहल -India-US initiative on Critical and Emerging Technology) को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। बता दें कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने वर्ष 2022 में आईसीईटी की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य भारत और अमेरिका के बीच व्यापक तकनीक और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आपसी सहयोग को बढ़ावा देना था।
अजीत डोभाल ने प्रौद्योगिकी में उद्योग की भूमिका और आईसीईटी की प्रगति पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा ‘आईसीईटी ने हमारी सोच से भी आगे के लक्ष्य को हासिल किया है।’ इसके अलावा उन्होंने रक्षा क्षेत्र में नवाचार, स्टार्टअप में प्रगति और सेमीकंडक्टर उद्योग के महत्व पर भी जोर दिया।
अमेरिका के एनएसए ने इन बातों पर दिया जोर
उधर अमेरिका के एनएसए जैक सुलिवन ने तकनीक के साझाकरण में तीन मुख्य बातों पर जोर दिया। उनके अनुसार नवाचार, उत्पादन और तैनाती के जरिए दोनों देशों के बीच प्रौद्योगिकी का विकास हो सकता है। उन्होंने नवाचार की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि निजी क्षेत्रों में भी सरकार के सहयोग की जरूरत है। सुलिवन के अनुसार अमेरिका में भारतीय उद्योगों का समर्थन किया जाता है। उन्होंने आगे कहा कि आईसीईटी का उद्देश्य भारत और अमेरिका के बीच तकनीक के क्षेत्र में सहयोग करना है।
दोनों देशों के एनएसए ने आश्वासन दिया कि वे विशिष्ट उद्योगों का स्वागत करते हैं और आपसी सहयोग से किसी भी परेशानी को हल करने की कोशिश की जाएगी। इस तरह से भारत और अमेरिका के संबंधों को गहरा और मजबूत बनाया जाएगा।