राहुल-अखिलेश में दिखी केमिस्ट्री, विपक्ष के नेताओं के बीच दिखाई दिया तालमेल

लोकसभा चुनाव 2024 के बाद आहूत संसद के विशेष सत्र का राज्यसभा में प्रधानमंत्री के संबोधन के साथ आज सत्रावसान हो गया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के चेहरे पर संसद के सत्र का जिक्र करते ही मुस्कान तैर जाती है। इस सत्र में राहुल गांधी ने एक बड़ी राजनीतिक उपलब्धि हासिल की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें बालबुद्धि वाला और फेल बताया तो कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि राहुल गांधी विपक्ष के नेताओं की धुरी बनकर उभरे हैं। सत्र के सत्रावसान के बाद सबसे अधिक चर्चा में भी राहुल गांधी और उनका 90 मिनट का लोकसभा में संबोधन है।

अखिलेश-राहुल का तालमेल रहा चर्चा में

दूसरी बड़ी चर्चा राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव के बीच में बनी राजनीतिक केमिस्ट्री पर है। अखिलेश यादव ने सत्र के आरंभ होने के दिन पहले अपने अयोध्या से सांसद अवधेश प्रसाद को प्रमुखता से स्थान दिया। विपक्ष के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी अवधेश प्रसाद को पूरे सत्र के दौरान मान देकर साझा रणनीति को आगे बढ़ाया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी राहुल गांधी और अखिलेश के बीच में तालमेल को महसूस कर रहे थे। प्रधानमंत्री के आज राज्यसभा में संबोधन के दौरान इसकी गहराई महसूस की गई। प्रधानमंत्री ने समाजवादी पार्टी के नेता राम गोपाल यादव से कहा कि वह अपने भतीजे (अखिलेश) को समझाएं।


विपक्ष के नेताओं ने लोकसभा में राहुल के वक्तव्य को सराहा

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने राहुल गांधी के लोकसभा में दिए भाषण को अच्छा बताया। समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद को राहुल गांधी के भाषण में कुछ भी गलत नहीं लगा। अखिलेश यादव ने राहुल के वक्तव्य पर भाजपा के नेताओं की टिप्पणी को भाजपा की रणनीति करार दिया। टीएमसी के कल्याण बनर्जी ने अमर उजाला से बातचीत में कहा कि 90 मिनट में राहुल गांधी ने तमाम मुद्दे उठाए। केन्द्र सरकार को घेरा। अच्छा बोले और अपनी जिम्मेदारी निभाई। शिवसेना(यूटीबी) के नेता संजय राऊत ने भी तारीफ की। मुंबई में मीडिया से मुखातिब होते हुए उद्धव ठाकरे ने भी राहुल गांधी के वक्तव्य से पूरी सहमति जताई और इसकी सराहना की।

विपक्ष के नेताओं ने दिखाई एकजुटता

लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेताओं ने संसद के विशेष सत्र के दौरान एकजुटता दिखाई। हालांकि संसद में लोकसभा अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के पद को लेकर तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी ने कहा कि कांग्रेस और विपक्षी दलों के नेता ने आपस में कोई चर्चा नहीं की। तृणमूल कांग्रेस की नेता और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोकसभा में उपाध्यक्ष के पद के लिए बिना आपसी चर्चा किए विपक्ष की तरफ से अवधेश प्रसाद को उम्मीदवार बनाए जाने का सुझाव तक दे दिया।

ऐसा माना जा रहा था कि इसका असर संसद के दोनों सदनों में देखने में आ सकता है। भाजपा के नेता भी चुनाव के बाद विपक्ष के इंडिया गठबंधन के बिखरने की भविष्यवाणी कर रहे थे, लेकिन संसद के विशेष सत्र में दोनों सदनों में इस तरह का कोई संकेत नहीं दिखाई दिया। विपक्षी दलों के बीच में तालमेल का संकेत राहुल गांधी ने पहले ही दे दिया था। नेता प्रतिपक्ष चुने जाने के बाद उन्होंने कहा कि उनकी प्रथमिकता सभी विपक्षी सहयोगियों को साथ लेकर चलने की रहेगी। कांग्रेस के सांसद तनुज पूनिया कहते हैं कि हमारे नेता ने जो कहा, उसे कर दिखाया। विपक्षी नेताओं के बीच में यह आपसी सूझ-बूझ देखकर सत्ता पक्ष की बेचैनी साफ देखी जा सकती है।

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