नए आपराधिक कानूनों की समीक्षा करेगी ममता सरकार, हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज समेत सात सदस्यों का पैनल गठित

देश में एक जुलाई को केंद्र सरकार ने तीन नए आपराधिक कानून लागू किए हैं। ये तीन नए कानून हैं भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम। नए कानूनों का उद्देश्य देश के नागरिकों को तुरंत न्याय दिलाना और न्यायिक व न्यायालय प्रबंधन प्रणाली को मजबूत बनाना है।

पश्चिम बंगाल सरकार देश में एक जुलाई को लागू किए गए नए आपराधिक कानूनों की समीक्षा करेगी। इसके लिए कोलकाता के हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में सात सदस्यीय पैनल बनाया गया है। पैनल को तीन महीने में अपनी रिपोर्ट देनी होगी।

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देश में एक जुलाई को केंद्र सरकार ने तीन नए आपराधिक कानून लागू किए हैं। ये तीन नए कानून हैं भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम। इन कानूनों ने क्रमशः औपनिवेशिक युग की भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है। नए कानूनों का उद्देश्य देश के नागरिकों को तुरंत न्याय दिलाना और न्यायिक व न्यायालय प्रबंधन प्रणाली को मजबूत बनाना है।

पश्चिम बंगाल में इन कानूनों को लागू करने के लिए सात सदस्यीय पैनल का गठन किया गया है। पश्चिम बंगाल गृह विभाग ने कहा कि राज्य सरकार ने आपराधिक कानूनों, भारतीय न्याय संहिता 2023 (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 (बीएसए) की समीक्षा के लिए एक समिति गठित की है।

गृह विभाग ने अधिकारी ने कहा कि हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश अशिम रॉय की अध्यक्षता में गठित पैनल में राज्य के कानून मंत्री मलय घटक और वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य को शामिल किया गया है। इसकी अधिसूचना मंगलवार को जारी कर दी गई। इसके तहत पैनल को सभी विशेषज्ञों, वरिष्ठ अधिवक्ताओं, अनुसंधान सहायकों और कानून विशेषज्ञों से चर्चा के बाद जरूरी सुझावों के साथ तीन महीने में रिपोर्ट देनी होगी।

ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को लिखा था पत्र

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 21 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर नए आपराधिक कानूनों को स्थगित करने की अपील की थी। बनर्जी ने कहा था कि नए आपराधिक कानूनों को अभी लागू नहीं किया जाए तो इन कानूनों की नए सिरे से संसदीय समीक्षा संभव होगी। तीन महत्वपूर्ण विधेयकों को एकतरफा पारित किया था और इस पर कोई चर्चा नहीं हुई।

उन्होंने कहा था कि लोकतंत्र के उस काले समय में विधेयकों को तानाशाही तरीके से पास किया गया। मामला अब समीक्षा का हकदार है। इसलिए मैं आग्रह करती हूं कि कम से कम नए कानूनों को लागू करने की तारीखों को टालने पर विचार करें। विधेयक में किए गए जरूरी बदलावों को नए सिरे से विचार-विमर्श और जांच के लिए नवनिर्वाचित संसद के समक्ष रखा जाना चाहिए। इससे पहले ममता बनर्जी ने गृहमंत्री अमित शाह को भी पत्र लिखा था।

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