खरगे के बेटे ने कर्नाटक सरकार को लौटाई जमीन, ट्रस्ट के लिए बेंगलूरू में आवंटित हुआ था प्लॉट

खरगे के बेटे ने कर्नाटक सरकार को लौटाई जमीन, ट्रस्ट के लिए बेंगलूरू में आवंटित हुआ था प्लॉट
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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे और सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट के अध्यक्ष राहुल एम खरगे ने बेंगलूरू में नागरिक सुविधा स्थल के लिए पांच एकड़ जमीन आवंटन के अपने अनुरोध को वापस ले लिया है। राहुल खरगे का यह फैसला मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती द्वारा मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण को 14 साइटों को वापस करने के बाद आया है। बता दें कि, इस मामले में लोकायुक्त पुलिस ने सिद्धारमैया, उनकी पत्नी और साले के खिलाफ मामला दर्ज किया था।


भाजपा के आईटी विभाग के प्रभारी अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में साइट के आवंटन पर सवाल उठाए थे और इसे 'सत्ता का दुरुपयोग, भाई-भतीजावाद बताया था। भाजपा के राज्यसभा सदस्य लहर सिंह सिरोया ने भी 'एक्स' पर इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा, खड़गे परिवार एयरोस्पेस उद्यमी कब बन गया कि उसे केआईएडीबी की जमीन मिल जाए? क्या यह सत्ता के दुरुपयोग, भाई-भतीजावाद नहीं है? बता दें कि, ट्रस्ट ने 12 फरवरी, 2024 को केआईएडीबी को अपना प्रस्ताव प्रस्तुत किया था और एक महीने बाद प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई थी।

अनुरोध लिया वापस

इस पूरे घटनाक्रम को लेकर मल्लिकार्जुन खरगे के छोटे बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खरगे ने अपने 'एक्स' हैंडल पर पत्र की स्कैन की गई प्रतियों के साथ जानकारी साझा की है। 20 सितंबर को कर्नाटक औद्योगिक विकास बोर्ड (केआईएडीबी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को लिखे पत्र में राहुल खड़गे ने लिखा, मल्टी स्किल डेवलपमेंट सेंटर और एक शोध केंद्र स्थापित करने के लिए सिविक एमेनिटी साइट के लिए हमारे अनुरोध को वापस लिया गया है।

उन्होंने कहा कि सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट का उद्देश्य छात्रों और बेरोजगार युवाओं के लिए प्रौद्योगिकियों में कौशल विकास के माध्यम से अधिक रोजगार के अवसर पैदा करना है। राहुल खड़गे ने कहा कि, प्रस्तावित मल्टी-स्किल डेवलपमेंट सेंटर का मुख्य उद्देश्य युवाओं को अधिक रोजगार योग्य बनाना और उन्हें कौशल और भविष्य के कौशल के साथ उद्योग के लिए तैयार करना है। इसे उन छात्रों की मदद करने के लिए भी डिज़ाइन किया गया है जो कॉलेज की शिक्षा हासिल करने में असमर्थ हैं।

खरगे की ओर से आई सफाई

उन्होंने कहा कि ट्रस्ट ने केआईएडीबी औद्योगिक क्षेत्र के भीतर एक साइट को प्राथमिकता दी क्योंकि यह उद्योगों के निकट है। जो युवा लोगों को अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने बताया कि सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट एक सार्वजनिक शैक्षिक, सांस्कृतिक और धर्मार्थ ट्रस्ट है, न कि एक निजी या परिवार द्वारा संचालित ट्रस्ट।

वहीं प्रियांक खरगे ने एक्स पर लिखा कि ट्रस्ट शैक्षणिक संस्थान सीए साइट के लिए आवेदन करने और आवंटन प्राप्त करने के लिए पूरी तरह से योग्य है। हालांकि, कोई भी शैक्षणिक संस्थान लगातार दुर्भावनापूर्ण, निराधार और राजनीति से प्रेरित आरोपों का सामना करते हुए प्रभावी ढंग से काम नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट लंबे समय तक चलने वाले विवादों में नहीं फंसना चाहता। जो उसे शिक्षा और सामाजिक सेवा के प्राथमिक उद्देश्य से विचलित कर देगा।

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