दवा निर्माण में भारत आगे, स्वास्थ्य सचिव का दावा- दुनियाभर की आठ अरब वैक्सीन में से आधी भारत में बनीं
दवा निर्माण क्षेत्र में भारत लगातार आगे बढ़ रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने दावा किया है कि पिछले एक साल में दुनिया भर में निर्मित और वितरित की गईं आठ अरब वैक्सीन खुराकों में से आधी भारत में निर्मित की गईं हैं।
यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम की ओर से आयोजित वार्षिक इंडिया लीडरशिप समिट 2024 में पुण्य ने सोमवार को कहा कि फार्मास्यूटिकल्स में भारत एक वैश्विक लीडर के रूप में उभरा है। भारत जेनेरिक दवाओं का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। भारतीय कंपनियों की दवाओं ने 2022 में अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को 219 अरब डॉलर की बचत प्रदान की। इसके चलते 2013 और 2022 के बीच कुल 1.3 ट्रिलियन डालर की बचत हुई है।
उन्होंने कहा कि भारत ने अमेरिकी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में उल्लेखनीय योगदान भी दिया है। भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग के योगदान का प्रमाण इस तथ्य से मिलता है कि अमेरिका के बाहर यूएस एफडीए की ओर से अनुमोदित फार्मास्युटिकल संयंत्रों की संख्या सबसे अधिक भारत में है। यह अमेरिका के बाहर यूएस एफडीए-अनुमोदित पैंटों की कुल संख्या का 25 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि देश वैक्सीन उत्पादन में भी अग्रणी है, जो दुनिया की फार्मेसी के रूप में अपनी भूमिका को रेखांकित करता है। दुनिया में निर्मित सभी टीकों में से 50 प्रतिशत भारत से हैं। दुनिया भर में निर्मित और वितरित की गई आठ अरब वैक्सीन खुराकों में से चार अरब खुराकें भारत में निर्मित की गईं।
भारत में मेडिकल और नर्सिंग कॉलेजों की संख्या बढ़ी
उन्होंने कहा कि एक मजबूत स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए भारत ने चिकित्सा शिक्षा में सुधार किया है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम और संबंधित कानूनों के साथ पुराने नियामक ढांचे को बदला गया है। भारत में मेडिकल और नर्सिंग कॉलेजों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर उपलब्धता में असमानताएं दूर हो गई हैं। अब भारत एक स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में सक्षम कार्यबल तैयार कर रहा है। यह राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों जरूरतों को पूरा करता है। पुण्य ने कहा कि सरकारी प्रयासों से भारत में स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता, पैमाने और लागत-प्रभावशीलता में उत्तरोत्तर सुधार हुआ है।
कैंसर के खिलाफ लड़ाई में भारत और अमेरिका साथ
2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन ने कैंसर के खिलाफ लड़ाई में तेजी लाने के लिए प्रतिबद्धता जताई। इसलिए अगस्त में यूएस-इंडिया कैंसर मूनशॉट डायलॉग का उद्घाटन किया गया। पुण्य ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य अमेरिका-भारत बायोमेडिकल अनुसंधान सहयोग को बढ़ाना है। इसमें एम्स और टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल जैसे संस्थानों के साथ साझेदारी शामिल है। उन्होंने कहा कि भारत ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में कैंसर परीक्षण और निदान के लिए 7.5 मिलियन डॉलर का अनुदान समर्पित किया है। भारत इस क्षेत्र में रेडियोथेरेपी और कैंसर की रोकथाम के प्रयासों का भी समर्थन करेगा, जिसमें 40 मिलियन का योगदान होगा। पुण्य ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा में भारत-अमेरिका साझेदारी साझा स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों का उदाहरण है।