हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को लेकर उपराष्ट्रपति ने सुनाई खरी-खरी, कहा-महिलाओं पर बर्बरता, धार्मिक स्थलों का किया अपमान

हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को लेकर उपराष्ट्रपति ने सुनाई खरी-खरी, कहा-महिलाओं पर बर्बरता, धार्मिक स्थलों का किया अपमान
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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पड़ोसी देशों में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर खरी-खरी सुनाई है. उन्होंने तथाकथित नैतिक उपदेशक, मानवाधिकारों के संरक्षक समेत वैश्विक चुप्पी पर चिंता व्यक्त की. धनखड़ की यह टिप्पणी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए सामने आई. उन्होंने कहा 'हम बहुत सहिष्णु हैं, और इस तरह के अतिक्रमणों के प्रति अधिक सहिष्णुता ठीक नहीं है. सोचिए अगर आप उनमें से एक होते तो...

बांग्लादेश का नाम लिए बिना बरसे

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बांग्लादेश का नाम लिए बिना कहा कि लड़कों, लड़कियों और महिलाओं के साथ किस तरह की बर्बरता, यातना और मानसिक आघात का अनुभव किया जाता है, इसे देखिए. हमारे धार्मिक स्थलों को अपवित्र किया जा रहा है. अपमानित किया जा रहा है. धनखड़ ने किसी एक देश का नाम लिए बिना कहा कि कुछ क्षेत्रों में हिंदुओं के सामने आ रहे मानवीय संकटों पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए.

उपराष्ट्रपति की टिप्पणी प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद से हटाए जाने के बाद से बांग्लादेश में हिंदुओं पर व्यापक हमलों की खबरों के संदर्भ में थी. PTI की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में दुर्गा पूजा समारोह के दौरान 'अप्रिय घटनाओं' के बाद कम से कम 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. बांग्लादेश की 17 करोड़ की आबादी में हिंदुओं की संख्या केवल 8 प्रतिशत है. धनखड़ ने कहा कि इस तरह मामलों पर चुप्पी साधे रखना उचित नहीं है और मानवाधिकारों के समर्थकों को इस पर ध्यान देना चाहिए.

भारत की छवि खराब करने की हो रही कोशिश

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने शुक्रवार को कहा कि कुछ हानिकारक ताकतें भारत की 'खराब छवि' पेश करने की कोशिश कर रही हैं. उन्होंने यहां राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए विभाजन, आपातकाल लागू किए जाने और 1984 के सिख विरोधी दंगों को ऐसी दर्दनाक घटनाएं बताया, जो ''याद दिलाती हैं कि आजादी कितनी नाजुक होती है. धनखड़ ने कहा कि कुछ ऐसी हानिकारक ताकतें हैं जो एक सुनियोजित रूप से हमें अनुचित तरीके से कलंकित करना चाहती हैं. उन्होंने कहा कि इन ताकतों का अंतरराष्ट्रीय मंचों का इस्तेमाल कर 'हमारे मानवाधिकार रिकॉर्ड पर सवाल उठाने' का 'दुष्ट इरादा' है.

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