विदेश जाकर पढ़ाई की होड़ नई बीमारी; उपराष्ट्रपति धनखड़ की अपील- देश में योगदान दें समर्थ लोग
भारतीय उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ विदेश जाने वाले छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी और उनके साथ होने वाले धोखाधड़ी को लेकर अपना चिंता जाहिर किया है। शनिवार को उन्होंने कहा कि विदेश में जा रहे हैं, यह नई बीमारी है जिससे देश के बच्चों पीड़ित है। विदेश जाने की उत्सुकता बच्चों प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है जो राष्ट्र के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है।
'विदेश जाने की एक नई बीमारी'
उपराष्ट्रपति ने राजस्थान के सिकर में एक निजी शैक्षिक संस्थान द्वारा आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चों के बीच एक और नई बीमारी है, विदेश में जाने की। बच्चे उत्साह से विदेश जाना चाहता है, वह एक नया सपना देखता है, लेकिन उन्होंने किस संस्था में जाना चाहिए और नहीं इस बात का आकलन नहीं लगा पाते है और विज्ञापन से प्रभावित होकर अपना कदम आगे बढ़ाते है।
6 बिलियन का घाठा
उन्होने कहा कि बड़ी संख्या में विदेश जाकर पढ़ने वाले बच्चों के कारण विदेशी मुद्रा भंडार 6 बिलियन डॉलर घटा। कल्पना करिए कि अगर छह बिलियन डॉलर भारत के शैक्षणिक संस्थानों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में खर्च किए जाते तो आज हालात कितने बेहतर होते। मैं इसे विदेशी मुद्रा और प्रतिभा दोनों का पलायन मानता हूं।
'विज्ञापन से प्रभावित हो रहे छात्र'
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि 18 से 24 साल के लड़के लड़कियां विज्ञापन से प्रभावित होकर विदेश जाने का निर्णय लेते है। उन्होंने कहा कि अनुमान है कि 2024 में, लगभग 13 लाख छात्र विदेश गए थे। उनके भविष्य के बारे में क्या होगा, इस बारे में एक आकलन किया जा रहा है।लोग अब समझ रहे हैं कि अगर उनका भविष्य कितना उज्ज्वल होता अगर वे यहां अपनी पढ़ाई पूरी करते।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति को बताया गेम चेंजर
धनखड़ ने कहा कि एक व्यवसाय में शिक्षा को बदलना देश के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा कुछ मामलों में, यह जबरन वसूली का रूप भी ले रहा है। यह चिंता का विषय है। इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भी प्रशंसा की जिसे उन्होंने गेम चेंजर बताया। उन्होंने कहा कि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए प्रौद्योगिकी के इष्टतम उपयोग का आह्वान किया।