अगर आंकड़े उनके अनुसार नहीं, तो वे इसे पूरी तरह से बदल देंगे', कांग्रेस का केंद्र सरकार पर तंज

अगर आंकड़े उनके अनुसार नहीं, तो वे इसे पूरी तरह से बदल देंगे, कांग्रेस का केंद्र सरकार पर तंज
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कांग्रेस ने गुरुवार को केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के बयान को लेकर केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि दरों में कटौती करने का विकल्प चुनने के लिए खाद्य मुद्रास्फीति पर विचार करना एक त्रुटिपूर्ण सिद्धांत है, और कहा कि सरकार को केवल एक ही तरकीब आती है, वह है अगर आंकडे़ उनके अनुकूल नहीं है तो आंकड़े को पूरी तरह से बदल देना।


पीयूष गोयल के बयान के बाद कांग्रेस हमलावर

विपक्षी पार्टी का यह हमला केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को निश्चित रूप से ब्याज दरों में कटौती करनी चाहिए। एक कार्यक्रम में बोलते हुए पीयूष गोयल ने कहा, आरबीआई को ब्याज दरों में कटौती करनी चाहिए। दरों में कटौती करने का विकल्प चुनने के लिए खाद्य मुद्रास्फीति पर विचार करना एक त्रुटिपूर्ण सिद्धांत है। यह मेरा व्यक्तिगत विचार है, सरकार का नहीं।

वहीं इसी कार्यक्रम में बोलते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने ब्याज दरों में कटौती के पीयूष गोयल के सुझाव पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया और कहा कि दर निर्धारण समिति दिसंबर में अपनी अगली बैठक में इस पर उचित निर्णय लेगी।


आरबीआई की स्वतंत्रता के बारे में चिंता- जयराम रमेश

इस मामले में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि एक वरिष्ठ और प्रभावशाली मंत्री सार्वजनिक रूप से कह रहे हैं कि आरबीआई को ब्याज दरें निर्धारित करते समय खाद्य मुद्रास्फीति पर विचार नहीं करना चाहिए। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में कहा, आरबीआई की स्वतंत्रता के बारे में चिंता जताने के अलावा, यह बयान अत्यधिक असंवेदनशीलता भी दर्शाता है। खाद्य मुद्रास्फीति पिछले कुछ समय से उग्र है और दोहरे अंकों को पार कर गई है। यह भारत के परिवारों के बजट का एक बहुत बड़ा घटक है और मौद्रिक नीति दरें निर्धारित करते समय इस पर विचार किया जाना चाहिए।

भाजपा सरकार केवल एक ही चाल जानती है- कांग्रेस

कांग्रेस नेता ने आगे कहा, गैर-जैविक पीएम की सरकार केवल एक ही चाल जानती है: यदि डेटा उनके अनुकूल नहीं है, तो वे डेटा को पूरी तरह से बदल देंगे। अपनी टिप्पणी में पीयूष गोयल ने यह भी कहा, मोदी सरकार के तहत मुद्रास्फीति भारत की आजादी के बाद से सबसे कम रही है।

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