नेताओं के घरों में लूटपाट करने वाले संदिग्धों की पहचान हो गई', सीएम सिंह ने दिया कार्रवाई का आश्वासन

मणिपुर में पिछले एक साल से हिंसा जारी है। पिछले हफ्ते जिरीबाम में छह लोगों का शव मिलने के बाद फिर एकबार हिंसा भड़क गई। इस दौरान भीड़ ने मंत्रियों और विधायकों के घरों को निशाना बनाया और महत्वपूर्ण सामानों को लूट लिया। उनकी संपत्तियों को आग के हवाले कर दिया। मंत्रियों और विधायकों की संपत्तियों में लूटपाट की घटना पर मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि 16 नवंबर को प्रदर्शन के दौरान मंत्रियों-विधायकों के घरों में लूटपाट करने वालों की पहचान कर ली गई है और अब उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।


बीरेन सिंह ने घटना की निंदा की

सीएम बीरेन सिंह ने मंत्रियों के घरों में आग लगाने और उनके दिवंगत पिता की तस्वीरों को जलाने और लीटपाट की घटना की निंदा की। प्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, "लोकतांत्रिक आंदोलन के नाम पर कुछ गैंग मंत्रियों के घरों को लूट रहे हैं और उनकी संपत्तियों में आग लगा रहे हैं। सीसीटीवी फुटेज के जरिए संदिग्धों की पहचान कर ली गई है और अब उनके खिलाफ उचित कार्रवाई होगी। मुझे सार्वजनिक तौर पर यह कहते हुए शर्म आती है कि मणिपुर में यह हो रहा है।"

मणिपुर के मुख्यमंत्री ने लोगों से किसी भी हिंसात्मक कृत्यों में शामिल होने से बचने की अपील की। उन्होंने कहा कि उन्हें जिरीबाम में बच्चों और महिलाओं की हत्या के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों से कोई परेशानी नहीं है, लेकिन इस स्थिति का फायदा उठाने वाले गिरोह के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सीएम ने दावा किया कि अगर सीआरपीएफ ने 11 नवंबर को जिरीबाम में 10-11 उग्रवादियों को नहीं मार गिराया होता तो 100 नागरिकों की जान चली गई होती, क्योंकि उग्रवादी राहत शिविरों और पुलिस स्टेशन पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे थे।

हमलावरों की तलाश में है राज्य सरकार

बीरेन सिंह ने कहा कि जब स्थिति में सुधार होगा, तब क्षेत्र में इंटरनेट सेवा बहाल कर दी जाएगी। हमलावरों को पकड़ने के लिए अभियान चलाया गया है। जिरीबाम में मासूमों की हत्या का मामला एनआईए संभाल रही है। राज्य सरकार चुप नहीं है। हम उनकी तलाश में लगे हुए हैं।

बता दें कि पिछले सप्ताह तीन महिलाओं और तीन बच्चों के लापता होने के बाद राज्य में एक बार फिर हिंसा भड़क गई। हिंसा भड़कने के बाद भीड़ ने विधायकों के घरों को निशाना बनाया और उसमें तोड़फोड़ करने लगे। हालांकि, कुछ दिनों बाद लापता हुए लोगों के शव पाए गए। पिछले साल मई से इंफाल घाटी के मैतेई और आसपास की पहाड़ियों पर स्थित कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।

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