संविधान को लेकर राजनीति करना कतई ठीक नहीं', शीतकालीन सत्र से पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला बोले
आज से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है। इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संविधान को राजनीति से दूर रखने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि संविधान को लेकर राजनीति करना ठीक नहीं है उसे राजनीति से दूर रखना चाहिए क्योंकि यह एक सामाजिक दस्तावेज और सामाजिक एवं आर्थिक बदलाव का स्रोत है।
'संविधान हमारी ताकत'
उन्होंने कहा, 'संविधान हमारी ताकत है। यह हमारा सामाजिक दस्तावेज है। इसी संविधान के कारण हम सामाजिक और आर्थिक बदलाव लाए हैं और समाज के वंचित, गरीब तथा पिछड़े लोगों को सम्मान दिया है। आज दुनिया में लोग भारत के संविधान को पढ़ते हैं, उसकी विचारधारा को समझते हैं और कैसे उस समय हमने बिना किसी भेदभाव के सभी वर्गों, सभी जातियों को वोट देने के अधिकार का प्रयोग किया था। हमारे संविधान की मूल भावना हमें सबको जोड़ने और मिलकर काम करने की शक्ति देती है। इसलिए संविधान को राजनीति के दायरे में नहीं लाना चाहिए।'
समय-समय पर संविधान में बदलाव किए गए: लोकसभा अध्यक्ष
बिरला ने यह भी कहा कि किसी भी पार्टी या विचारधारा की कोई भी सरकार संविधान की मूल भावना (या संरचना) के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि लोगों के अधिकारों और उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए समय-समय पर संविधान में बदलाव किए गए हैं।
गौरतलब है, इस साल विपक्ष ने लोकसभा चुनाव के दौरान आरोप लगाए थे कि सरकार संविधान में बदलाव करेगी। इन्हीं सब आरोपों का वह जवाब दे रहे थे। ओम बिरला ने कहा कि संविधान में बदलाव सामाजिक परिवर्तन के लिए किए गए हैं।
'संविधान की मूल भावना के साथ कभी छेड़छाड़ नहीं कर सकती सरकार'
उन्होंने कहा, 'लोगों की आकांक्षाओं और अधिकारों तथा पारदर्शिता बरकरार रखने के लिए संविधान में समय-समय पर बदलाव किए गए हैं। सामाजिक परिवर्तन के लिए भी बदलाव किए गए हैं। लेकिन किसी भी राजनीतिक दल या किसी सरकार ने संविधान की मूल भावना के साथ छेड़छाड़ नहीं की है। यही कारण है कि न्यायपालिका को समीक्षा करने का अधिकार है ताकि मूल ढांचा बना रहे। इसलिए यहां हमारे देश में किसी भी पार्टी विचारधारा की सरकार संविधान की मूल भावना के साथ कभी छेड़छाड़ नहीं कर सकती।'
उन्होंने आगे भी कहा, 'प्रधानमंत्री ने हमेशा कहा है कि समाज के वंचित, गरीब, पिछड़े लोगों को अभी भी आरक्षण की जरूरत है और इसलिए, सरकार संविधान के मूल दर्शन के तहत काम करती है ताकि उनके जीवन में समृद्धि आ सके, उनके जीवन में सामाजिक बदलाव आ सके।’
आचरण और सोच के मानदंड जितने ऊंचे होंगे...
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि नियम और परंपरा शिष्टाचार बनाए रखने के महत्व पर ध्यान केंद्रित करते हुए दिशा प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा, 'नियम और परंपराएं एक दिशा देते हैं, एक दृष्टि देते हैं। इसलिए बाबा साहेब ने उस समय कहा था कि ये संविधान में आस्था रखने वाले लोगों और उसे लागू करने वालों पर निर्भर करेगा। आज भी, चाहे संविधान हो या संसद, हमारे आचरण में शिष्टाचार के उच्च मानक होने चाहिए। आचरण और सोच के मानदंड जितने ऊंचे होंगे, हम संस्थानों की गरिमा उतनी ही बेहतर तरीके से बढ़ा पाएंगे। मेरा मानना है कि हमारे सदन की गरिमा और उच्च स्तरीय परंपराओं को बनाए रखने के लिए सदस्यों के आचरण और व्यवहार पर बहुत कुछ निर्भर करता है।'
इस दिन मनाया जाएगा संविधान दिवस
26 नवंबर को मनाए जाने वाले संविधान दिवस पर उन्होंने कहा कि यह बाबासाहेब आंबेडकर के बलिदान और समर्पण को याद करने का दिन है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू संविधान की प्रस्तावना का पाठ करेंगी। उन्होंने कहा, 'हमने अपना संविधान 26 नवंबर को अपनाया और यह बाबा साहेब आंबेडकर तथा हमारे संविधान का निर्माण करने वाले लोगों के बलिदान और समर्पण को याद करने का दिन है।'
उन्होंने आगे कहा कि लोकतंत्र की 75 साल की यात्रा में भारत का लोकतंत्र भी मजबूत हुआ है और वह लोकतंत्र संविधान की मूल भावना से हमारे पास आया है। राष्ट्रपति के नेतृत्व में 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जा रहा है और राष्ट्रपति संविधान की प्रस्तावना का पाठ करेंगी ताकि हम संविधान के प्रति अपना आभार व्यक्त कर सकें और संविधान की मूल भावना तथा शक्ति लोगों तक पहुंच सके। मुझे उम्मीद है कि ये संविधान दिवस एक जन आंदोलन बनेगा और हम सभी संविधान के प्रति और इसमें योगदान देने वाले लोगों के प्रति अपना आभार व्यक्त करेंगे। संविधान के मूल कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को आगे बढ़ाते हुए हम विकसित भारत के अपने सपने को भी साकार करेंगे।'