ताजमहल से कितनी होती है कमाई?: हर साल इतने करोड़ के बिकते हैं टिकट, फिर भी सहजने के लिए खर्च करने में कंजूसी
दुनिया के सातवें अजूबे ताजमहल को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने कमाई का जरिया बना रखा है। बीते 3 साल में एएसआई को ताजमहल के टिकटों की बिक्री से 91 करोड़ रुपये की कमाई हुई है, जबकि ताज के संरक्षण पर इन्हीं तीन सालों में केवल 9.41 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
सूचना का अधिकार अधिनियम से मिली जानकारी के मुताबिक यूनेस्को की विश्व विरासत ताजमहल से साल 2020-2021 से वर्ष 2023-2024 के बीच 91.23 करोड़ रुपये की कमाई भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को हुई है। पूरे देश में टिकटों से इतनी कमाई किसी अन्य विश्व धरोहर या स्मारक से एएसआई की नहीं होती। ताजमहल के संरक्षण पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। एएसआई के खर्च के आंकड़े ही संरक्षण की पोल खोल रहे हैं। कोविड से पहले जहां एएसआई ने ताजमहल पर 12 करोड़ रुपये खर्च किए थे, वहीं कोविड के बाद खर्च सिर्फ 9 करोड़ रुपये ही हो पाए। कोविड के बाद ताज पर सैलानियों की संख्या में जबरदस्त उछाल आया है और लगभग दो गुने सैलानी ताज पर पहुंचने लगे हैं।
गुंबद पर पौधे उगे तो दरक रहे पत्थर
ताजमहल के संरक्षण की पोल दो महीने पहले मुख्य गुंबद पर उगे पौधे ने खोल दी थी। केवल गुंबद नहीं, बल्कि रॉयल गेट, शाही मस्जिद, मेहमान खाना, फोरकोर्ट के दालान और चमेली फर्श के पास की चारों छतरियों के पत्थरों के दरकने के फोटो सोशल मीडिया पर पूरे साल छाए रहे। रॉयल गेट पर पच्चीकारी के पत्थर निकल गए तो ताज की यमुना किनारे की दीवारों पर कीड़ों के दागों ने छवि पर दाग लगा दिए। एएसआई के महानिदेशक ने इन सवालों के जवाब दिए, लेकिन संरक्षण पर कमाई के मुकाबले सिर्फ 10 फीसदी का खर्च पूरी हकीकत बयां कर रहा है।
ताज से कमाई ऐसी
वर्ष आय
2020-21 5,11,75,480 रुपये
2021-22 29,16,07,680 रुपये
2022-23 56,95,46,880 रुपये
ताज के संरक्षण पर खर्च
वर्ष खर्च
2020-21 3,39,65,422 रुपये
2021-22 2,84,43,366 रुपये
2022-23 3,17,76,477 रुपये
कोविड से पहले खर्च भी ज्यादा, कमाई भी
आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक कोविड से तीन साल पहले ताजमहल से कमाई 34.27 करोड़ रुपये की हुई थी, जबकि संरक्षण पर खर्च 12.37 करोड़ रुपये था। कोविड के पहले खर्च और कमाई के बीच ज्यादा अंतर नहीं था। कोविड के बाद एएसआई ने कमाई के मुकाबले केवल 10 फीसदी ही संरक्षण पर खर्च किया है।
सैलानियों का अनुभव अच्छा नहीं
होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश चौहान ने बताया कि ताज आने वाले सैलानियों का अनुभव अच्छा नहीं है। लंबी कतार, पानी की परेशानी, शू कवर और टिकटों की मारामारी। जितनी ताज से कमाई हो रही है, उसके मुकाबले व्यवस्थाओं पर भी खर्च होना चाहिए। सैलानी कम से कम छवि तो अच्छी लेकर जाएं।
संरक्षण पर ध्यान देने की जरूरत
आगरा टूरिस्ट वेलफेयर चैंबर के अध्यक्ष प्रहलाद अग्रवाल ने बताया कि ताजमहल के संरक्षण पर ध्यान देने की जरूरत है। सैलानियों की सुविधाओं पर भी खर्च किया जा सकता है। व्हीलचेयर की संख्या बढ़ाई जाए और म्यूजियम को आकर्षक बनाया जाए, जिससे ताज में भीड़ भी एक जगह एकत्र न हो।
बुनियादी जरूरतों पर काम करें
आगरा एप्रूव्ड गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष शमशुद्दीन ने बताया कि गुंबद पर पेड़ हो या पत्थर का गिरना, इनसे पर्यटक के मन में खराब छवि बनती है, जो बरकरार रहती है। ताज के संरक्षण के साथ बुनियादी जरूरतों पर काम करने की जरूरत है, अन्यथा इसका बुरा असर पड़ना तय है।