पहले यह कांफ्रेंस दिल्ली तक थी सीमित, अब अन्य राज्यों भी को मिल रहा मेजबानी का अवसर
पुलिस महानिदेशकों और पुलिस महानिरीक्षकों का वार्षिक अखिल भारतीय सम्मेलन यानी डीजीपी-आईजीपी कांफ्रेंस इस बार 29 नवंबर से 1 दिसबंर तक भुवनेश्वर में आयोजित हो रही है। सम्मेलन के दौरान भुवनेश्वर के कई इलाकों को नो-फ्लाई जोन घोषित किया गया है। प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। 2014 से पहले यह सम्मेलन नई दिल्ली में आयोजित होता रहा है। मोदी के पीएम बनने के बाद इस सम्मेलन को दिल्ली से बाहर दूसरे प्रदेशों में आयोजित किया जाने लगा है। तब से लेकर अब तक डीजीपी-आईजीपी कांफ्रेंस, असम के दिसपुर से लेकर गुजरात के कच्छ सहित कई राज्यों में संपन्न हो चुकी है।
एक दशक पहले तक यह कॉन्फ्रेंस दिल्ली में आयोजित होती रही है। साल 2014 में नरेंद्र मोदी ने जब प्रधानमंत्री का पद संभाला तो उन्होंने इस कॉन्फ्रेंस को दिल्ली से बाहर आयोजित कराने का निर्णय लिया। उसी वर्ष डीजी-आईजी कांफ्रेंस पहली बार, असम की राजधानी दिसपुर में आयोजित की गई थी। साल 2015 में यह कांफ्रेंस, गुजरात के कच्छ में आयोजित की गई। इसके बाद 2016 में इस कॉन्फ्रेंस को हैदराबाद में आयोजित किया गया। वर्ष 2017 में डीजी-आईजी कांफ्रेंस, उत्तराखंड के टनकपुर में आयोजित की गई। साल 2018 में यह कांफ्रेंस, दोबारा से गुजरात के केवाडिया में हुई। इसके बाद 2019 में महाराष्ट्र के पुणे में इस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। साल 2020 में कोविड-19 के चलते वर्चुअली कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। वर्ष 2021 में डीजी-आईजी कॉन्फ्रेंस उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित की गई थी।
इस वर्ष 6 से 7 जनवरी तक राजस्थान के जयपुर स्थित अंतरराष्ट्रीय केंद्र में पुलिस महानिदेशकों/महानिरीक्षकों का अखिल भारतीय सम्मेलन आयोजित किया गया था। वर्ष 2014 के पश्चात प्रधानमंत्री ने पुलिस महानिदेशकों के सम्मेलन में गहरी रुचि ली है। पहले प्रधानमंत्रियों की प्रतीकात्मक उपस्थिति के विपरीत, नरेन्द्र मोदी सम्मेलन के सभी प्रमुख सत्रों में उपस्थित रहते हैं। प्रधानमंत्री न केवल सभी जानकारियों को धैर्यपूर्वक सुनते हैं, बल्कि स्वतंत्र और अनौपचारिक चर्चा को भी प्रोत्साहित करते हैं ताकि नए विचार सामने आ सकें। जयपुर में हुए सम्मेलन के दौरान वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को देश को प्रभावित करने वाले प्रमुख पुलिस व्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दों पर अपने विचार और सिफारिशें प्रधानमंत्री के साथ साझा करने का भरपूर अवसर मिला था।
पिछली डीजीपी-आईजीपी कॉन्फ्रेंस में साइबर अपराध, पुलिस व्यवस्था में प्रौद्योगिकी, आतंकवाद विरोधी चुनौतियां, वामपंथी उग्रवाद, जेल सुधार और आंतरिक सुरक्षा मुद्दों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया था। सम्मेलन का एक अन्य प्रमुख एजेंडा, नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन के लिए रोड मैप पर विचार-विमर्श रहा था। इसके अतिरिक्त, पुलिस व्यवस्था और सुरक्षा में भविष्य के विषयों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और डीपफेक जैसी नई प्रौद्योगिकियों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों और उनसे निपटने के तरीकों पर भी चर्चा की गई। यह सम्मेलन, ठोस कार्य बिंदुओं की पहचान करने और उनकी प्रगति की निगरानी करने का अवसर भी प्रदान करता है, जिसे प्रत्येक वर्ष प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।