राज्यसभा न चलने देने पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ नाराज, बोले- लोकतंत्र में ऐसा तमाशा बर्दाश्त नहीं

राज्यसभा न चलने देने पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ नाराज, बोले- लोकतंत्र में ऐसा तमाशा बर्दाश्त नहीं
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संसद के शीतकालीन सत्र में लगातार चौथी बार राज्यसभा की कार्यवाही को बाधित किए जाने पर उपराष्ट्रपति और सभापति जगदीप धनखड़ ने नाराजगी जाहिर की है। अरुणाचल प्रदेश विधानसभा में विशेष सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में ऐसा तमाशा बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। भारतीय संविधान को अपनाने की चौथी तिमाही में प्रवेश करते हुए हम राज्यसभा में एक पल के लिए भी काम नहीं कर सके। यह बहुत दुखद है। हम संविधान की भावना के खिलाफ कैसे जा सकते हैं? हम अपने दायित्वों से कैसे पीछे हट सकते हैं?

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि मुझे खुशी है कि अरुणाचल प्रदेश की विधानसभा में ऐसा नहीं है। यह एक शानदार उदाहरण है और आशा की किरण है। राजनीतिक दलों के लिए यह समझना जरूरी है कि राष्ट्र की समृद्धि में सभी का हित है। हम अपने हितों को किसी भी स्थिति में राष्ट्र से ऊपर नहीं रख सकते।

भारत की विकास दर से गौरवान्वित

उपराष्ट्रपति ने भारत की विकास यात्रा पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि भारत की बढ़ती विकास दर मुझे गौरवान्वित करती है। अब कोई भी देश इस मामले में भारत के करीब नहीं है। भारत पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था है। हम तीसरी सबसे बड़ी क्रय शक्ति हैं। मगर हमारा उद्देश्य एक विकसित राष्ट्र बनना है। विकसित राष्ट्र बनने की राह में हमारे सामने कईं चुनौतियां हैं। हमारे लोगों की आय में आठ गुना वृद्धि होनी चाहिए। यह आठ गुना वृद्धि तभी होगी जब सभी का इसमें व्यापक योगदान होगा।

उन्होंने कहा कि जब सरकार ने लुक ईस्ट नीति तैयार की तो पूर्वोत्तर राज्यों ने देश की कल्पना पर कब्जा कर लिया और नरेंद्र मोदी प्रशासन ने एक्ट ईस्ट नीति तैयार करके इसको आगे बढ़ाया। अब यहां 17 हवाई अड्डे, 20 जलमार्ग और गहरी डिजिटल पहुंच है। यह क्षेत्र तेजी से विकास की राह पर बढ़ रहा है। यहां की जैविक और प्राकृतिक खेती अन्य राज्यों के लिए मॉडल है। ये क्षेत्र बड़े बाजार का अवसर प्रदान करते हैं।

इस मौके पर राज्यपाल केटी परनाईक ने उपराष्ट्रपति धनखड़ को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि धनखड़ लोकतंत्र के उच्चतम आदर्शों के प्रतीक हैं तथा संसदीय प्रणाली में निष्पक्षता और न्याय की मिसाल पेश करते हैं।

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