कांग्रेस ने धनंजय मुंडे पर लगाया फसल बीमा योजना में भ्रष्टाचार का आरोप, जांच की मांग
महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता विजय वडेट्टीवार ने मंगलवार को बीड में फसल बीमा योजना के क्रियान्वयन में अनियमितताओं का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह योजना राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के धनंजय मुंडे की देखरेख में लागू की गई थी, जब वे राज्य के कृषि मंत्री थे। वडेट्टीवार ने मांग की कि इसकी जांच के लिए एक विशेष समिति बनाई जाए और बीड फसल बीमा मॉडल के फैसलों की पारदर्शिता से समीक्षा की जाए।
धनंजय मुंडे ने जुलाई 2022 से दिसंबर 2024 तक एकनाथ शिंदे सरकार में कृषि मंत्री के रूप में काम किया था। वर्तमान में वे देवेंद्र फडणवीस सरकार में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री हैं।
वडेट्टीवार ने एक बयान में कहा, बीड मॉडल का उद्देश्य किसानों की मदद करना नहीं था। इसे भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया गया था। उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वह फसल बीमा योजना के तहत अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है और किसानों को उनके हक के लाभ से वंचित कर रही है। उन्होंने कहा, 2024 में चार लाख झूठे बीमा दावों में से केवल 1.09 लाख को ही हल किया गया है। कल किसानों को इन झूठे दावों का दोषी ठहराया जाएगा, लेकिन जो लोग इस भ्रष्टाचार से मुनाफा कमा रहे हैं, उनका क्या?
बीड फसल बीमा मॉडल प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) का एक हिस्सा है। इस मॉडल के तहत बीमा कंपनी द्वारा एकत्रित प्रीमियम का 110 फीसदी कवर किया जाता है। अकर मुआवजा राशि 110 फीसदी से अधिक होती है, तो राज्य सरकार उस अंतर को वहन करती है।
वडेट्टीवार ने आरोप लगाया कि इस योजना के तहत 105 करोड़ रुपये फर्जी खातों में ट्रांसफर किए गए हैं और डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिक ट्रांसफर) योजना को बंद कर दिया गया है। इसके अलावा, धनंजय मुंडे की टीम ने 150-200 किसानों के नाम झूठे दावों में जोड़े हैं। उन्होंने कहा कि मंत्री खुद इन अनियमितताओं में शामिल हैं। कांग्रेस नेता ने मुख्यमंत्री फडणवीस से आग्रह किया कि वे बीड फसल बीमा योजना में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए तत्काल दखल दें।
उन्होंने कहा, बीड मॉडल किसानों के लिए लाभकारी योजना नहीं है। बल्कि यह एक ऐसी परियोजना का हिस्सा है, जिसका मकसद पैसे की लूट है। इस भ्रष्टाचार में मंत्री की सीधी भागीदारी है। वडेट्टीवार ने आरोप लगाया कि भ्रष्ट नेताओं को राज्य सरकार द्वारा संरक्षित किया जा रहा है। उन्होंने यह भी पूछा, अगर कृषि मंत्री के पास इतनी ताकत है, तो डीबीटी योजना क्यों बदली गई और उन्हें जिम्मेदार क्यों नहीं ठहराया जा रहा है?