कांग्रेस का दावा- केजरीवाल के समय सरकारी स्कूलों में बच्चे घटे, निजी स्कूलों में बढ़े
अरविंद केजरीवाल दिल्ली के शिक्षा मॉडल को देश में सबसे बेहतर होने का दावा करते रहे हैं, लेकिन कांग्रेस ने दावा किया है कि केजरीवाल के शासन के दौरान दिल्ली की आबादी बढ़ने के बाद भी सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या घट रही है, जबकि निजी स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ रही है। कांग्रेस का दावा है कि उसके शासन काल के दौरान दिल्ली के सरकारी स्कूलों में छात्रों का पास प्रतिशत आज की तुलना में बेहतर था।
कांग्रेस ने किये ये दावे
कांग्रेस नेता अजय माकन ने आंकड़ों के साथ यह दावा किया कि अरविंद केजरीवाल के शासन में दिल्ली में शिक्षा व्यवस्था में भारी गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन में दिल्ली में 2008-09 में 12वीं कक्षा में पास होने वालों की संख्या 74,974 थी। 2013-14 में यह संख्या 1,47,420 हो गई। लेकिन 2019-2020 में (कोरोना काल में) आम आदमी पार्टी के शासन में 12वीं पास होने वाले छात्रों की संख्या घटकर 1,09,098 रह गई। जबकि इस दौरान न केवल जनसंख्या बढ़ी, बल्कि कोरोना की हालत को देखते हुए छात्रों को सहूलियत दिखाते हुए पास किया गया था।
लगातार दिल्ली और देश की आबादी बढ़ने के बाद भी दिल्ली सरकार के स्कूलों में छात्रों की संख्या घटती रही। 2013-14 के मुकाबले दस साल बाद यानी 2023-24 में 12वीं पास करने वाले छात्रों की संख्या महज 1,46,885 रही। 2013-14 में 1,66,257 छात्रों ने 12वीं की परीक्षा दी थी, जबकि 2019-20 में यह संख्या 1,11,413 थी। 2023-24 में यह संख्या 1,51,429 हो गई।
आंकड़ों के अनुसार, 2013-14 में सरकारी स्कूलों में 17.40 लाख बच्चे पढ़ रहे थे, इसी समय प्राइवेट स्कूलों में बच्चों की संख्या 13.57 लाख थी। यानी सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या ज्यादा थी, जबकि निजी स्कूलों में कम छात्र पढ़ाई कर रहे थे। लेकिन 2018-19 में सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या 16.47 लाख रह गई, जबकि इसी दौरान प्राइवेट स्कूलों में छात्रों की संख्या 16.61 लाख पहुंच गई।