योग दिवस मनाने के लिए 21 जून को ही क्यों चुना गया: , क्या है इस दिन का आध्यात्मिक महत्व ?

, क्या है इस दिन का आध्यात्मिक महत्व ?
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विश्व योग दिवस 21 जून को मनाया जाता है। 2015 से विश्व योग दिवस को मनाने की शुरुआत हुई। भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने योग दिवस मनाने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र के सामने रखा था। संत-मुनि विभिन्न प्रकार के योग से ईश्वर को प्रसन्न करने का तप करते थे। गणित की भाषा में योग का मतलब जोड़ना होता है। संस्कृत में योग किसी विशेष अवसर-परिस्थिति और ग्रह-नक्षत्रों के समायोजन को कहते हैं। विभिन्न स्थितियों को एक साथ लाने को भी योग कहा जाता है लेकिन जब बात योगाभ्यास की हो तो योग का अर्थ शरीर के अंगों द्वारा ऐसे आसन और क्रियाओं को करना होता है, जिनसे व्यक्ति को लाभ होता है, स्वस्थ रहने की ऊर्जा मिलती है। वेद और उपनिषदों में योग का उल्लेख है। कठोपनिषद में योग का विवरण योगाभ्यास के रूप में दिया गया है।

21 जून का आध्यात्मिक महत्व भी है। इस दिन उत्तरायण का चरम बिंदु होता है। यह साल का सबसे लंबा दिन होता है और यह समय भारतीय योग परंपरा में उत्तरायण काल का चरम बिंदु है। योग सूत्रों के अनुसार, यह समय शरीर और चित्त को सूर्य के मार्जन प्रभाव द्वारा शुद्ध करने का श्रेष्ठतम काल है। तंत्र शास्त्र में इसे सूर्य-मध्यबिन्दु प्रवेश काल कहा गया है। जहां शरीर की सूक्ष्म ऊर्जा सुषुम्ना नाड़ी में सबसे सहज रूप से प्रवाहित होती है।

योग दिवस की प्राचीन ऋषि परंपरा से असली उत्पत्ति विश्व से छिपी रही है। योग दिवस की जड़ें ऋग्वेद के हिरण्यगर्भ सूत्र और नाथ परंपरा के गोरक्षयोग शास्त्र से जुड़ी हैं। गोरक्षनाथ ने आद्य योग की शिक्षा 21 जून के दिन ही अपने प्रमुख शिष्य मत्स्येंद्रनाथ को दी थी। यह परंपरा मौन रहकर इस दिन ध्यान, संयम और आंतरिक तप में प्रवृत्त होती थी।

इस दिन को योगी पितृ दिन माना जाता था। जिसमें सिद्ध योगियों की आंतरिक साधना विशेष रूप से प्राणवायु के आरोहण हेतु होती थी।

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