पुतिन की भारत यात्रा की तैयारी तेज; रूस-भारत नज़दीकियों पर अमेरिका की बढ़ी चिंता

पुतिन की भारत यात्रा की तैयारी तेज; रूस-भारत नज़दीकियों पर अमेरिका की बढ़ी चिंता
नई दिल्ली।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर सोमवार को मॉस्को पहुंचेंगे। आधिकारिक तौर पर वे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेंगे, लेकिन इसे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की 5 दिसंबर को होने वाली भारत यात्रा की तैयारी से जोड़कर देखा जा रहा है। पुतिन दिसंबर 2021 के बाद पहली बार भारत आ रहे हैं, जो रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक घटना मानी जा रही है।
जयशंकर मॉस्को प्रवास के दौरान भारत-रूस वार्षिक शिखर बैठक के एजेंडे पर बातचीत करेंगे। ऊर्जा, रक्षा और व्यापार से जुड़े कई अहम समझौते इस बैठक में होने की संभाबना हे।
अमेरिका की पैनी नजर: रूस-भारत की बढ़ती निकटता से वॉशिंगटन में हलचल
भारत और रूस के बीच बढ़ती कूटनीतिक सक्रियता पर अमेरिका की चिंताएँ बढ़ गई हैं।
यूक्रेन संकट के बीच पुतिन की भारत यात्रा को अमेरिकी रणनीतिक हलके “एशियाई शक्ति-संतुलन में बदलाव” के रूप में देख रहे हैं। ऊर्जा सहयोग, हथियार सौदे और स्थानीय मुद्राओं में व्यापार जैसी संभावनाएँ अमेरिका की नीति-रेखा को चुनौती देती दिख रही हैं।
अमेरिकी विश्लेषकों के अनुसार, भारत का रूस के साथ संबंधों को सक्रिय रखना और अमेरिका से समानांतर साझेदारी बनाए रखना “बहुध्रुवीय विश्व की नई दिशा” की ओर संकेत है।
स्वतंत्र विदेश नीति की झलक
भारत ने स्पष्ट किया है कि प्रतिबंधों और दबावों के बावजूद
➡️ रूस के साथ ऊर्जा और रक्षा सहयोग जारी रहेगा
➡️ रणनीतिक स्वायत्तता से कोई समझौता नहीं होगा
इसी नीति के तहत जयशंकर का यह दौरा अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
रूस भी तैयार: ‘पुतिन भारत यात्रा को लेकर उत्साहित’
क्रेमलिन के सूत्र बताते हैं कि पुतिन भारत को एशिया में सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार मानते हैं। मॉस्को की कोशिश है कि भारत-रूस संबंधों को नई दिशा देते हुए वैश्विक राजनीति में संतुलन बनाया जाए।
जयशंकर की यात्रा इसी उच्चस्तरीय शिखर बैठक की अंतिम तैयारियों का हिस्सा है।
