दिल्ली में नौ साल से चल रहा अवैध करेंसी कारोबार क्राइम ब्रांच ने किया पर्दाफाश

राष्ट्रीय राजधानी में पिछले नौ वर्षों से सक्रिय अवैध नोट कारोबार का खुलासा दिल्ली क्राइम ब्रांच ने कर दिया है। इस कार्रवाई के बाद यह मामला चर्चा का बड़ा विषय बन गया है। सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि नोटबंदी के दौरान जिन 500 और 1000 रुपये के नोटों को सरकार ने अवैध घोषित कर दिया था, वे इतने बड़े पैमाने पर कैसे चलन में बने रहे?
चार आरोपी गिरफ्तार, करोड़ों की पुरानी करेंसी बरामद
पुलिस ने इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से एक बैग मिला जिसमें करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये मूल्य के 500 और 1000 के पुराने नोट रखे थे। पुलिस का मानना है कि इस गिरोह में और लोग भी शामिल हो सकते हैं, इसलिए आरोपियों से कड़ी पूछताछ जारी है।
नोटबंदी के बाद ऐसे नोट रखना भी अपराध
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 8 नवंबर 2016 को विमुद्रीकरण की घोषणा की थी। इसके तहत 500 और 1000 के पुराने नोटों को बंद कर दिया गया था। कानून के अनुसार इन नोटों को अपने पास रखना, खरीदना, बेचना या इनके जरिए किसी भी प्रकार का लेन-देन करना अपराध है और इसमें सख्त सजा का प्रावधान है।
गुप्त सूचना पर हुई कार्रवाई
दिल्ली क्राइम ब्रांच ने बताया कि उन्हें एक गुप्त सूचना मिली थी, जिसके आधार पर शालीमार बाग मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर चार के पास छापेमारी की गई। इसी दौरान चारों आरोपियों को पुरानी अवैध करेंसी के साथ रंगे हाथों पकड़ लिया गया।
पुलिस अब इस नेटवर्क के अन्य सदस्यों की तलाश में जुटी है और माना जा रहा है कि यह गिरोह दिल्ली समेत कई राज्यों में सक्रिय हो सकता है।
