भारत की सीमा पर दुनिया की सबसे बड़ी बांध परियोजना के बचाव में ड्रैगन; 10 बिंदुओं में जानें सबकुछ
चीन तिब्बत पठार के पूर्वी हिस्से में दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने जा रहा रहा है, जो भारत के लिए कई तरह की चुनौतियां पैदा कर सकता। यह बांध यारलुंग जांगबो नदी पर बनेगा, जो भारत में अरुणाचल प्रदेश की ओर मुड़ती है। इस नदी को भारत में ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है। इस बांध से हर साल 300 बियियन किलोवाट-घंटे (केडब्ल्यूएच) बिजली पैदा होगी। इस योजना को लेकर जहां भारत और बांग्लादेश की चिंताएं बढ़ गई हैं, वहीं चीन ने बांध बनाने की अपनी योजना का बचाव किया और कहा कि इस परियोजना से निचले इलाकों को कोई नुकसान नहीं होगा। दशकों के शोध और अध्यक्ष के बाद सुरक्षा से जुडे सभी मुद्दों का समाधान किया गया है।
1. नदी का मोड़: यह बांध ब्रह्मपुत्र नदी पर बनेगा, जो अरुणाचल प्रदेश की ओर मुड़ती है। इससे भारत में पानी की आपूर्ति की समस्या हो सकती है।
2. चीन की सबसे बड़ी परियोजना: यह बांध चीन की 14वीं पंचवर्षीय योजना का हिस्सा है। यह चीन की सबसे बड़ी ढांचागत परियोजना हो सकती है।
3. परियोजना की लागत: इस परियोजना की लागत 137 बिलियन डॉलर है। यह दुनिया की सबसे बड़ी परियोजना मानी जा रही है।
4. पारदर्शिता की कमी: चीन इस परियोजना के बार में पर्याप्त जानकारी नहीं दे रहा है, जिससे यह भारत के लिए और अधिक चिंताजनक हो सकता है।
5. जल संकट: इस बांध के कारण अचानक बाढ़ की समस्या हो सकती है या पानी की की हो सकती है, जिसेस भारत को जल आपूर्ति में दिक्कत हो सकती है।
6. चीन पर निर्भरता: नई दिल्ली को चिंता है कि अगर यह बांध बनता है, तो भारत को पानी के लिए चीन पर निर्भर रहना पड़ सकता है, जिससे चीन को भारत पर दबाव बनाने का मौका मिलेगा।
7. नदी पर नियंत्रण: चीन बांध के कारण नदी के पानी पर नियंत्रण रखेगा, जिससे निचले इलाकों में पानी की कमी हो सकती है।
8. भू-राजनीतिक तनाव: यह परियोजना भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ा सकती है और दोनों देशों के बीच जल युद्ध की संभावना को जन्म दे सकती है।
9. क्षेत्रीय खतरे: चीन इस बांध से पानी का प्रवाह नियंत्रित कर सकता है और युद्ध की स्थिति में सीमा क्षेत्रों में बाढ़ ला सकता है।
10. भारत की प्रतिक्रिया: भारत भी अरुणाचल प्रदेश में ब्रहमपुत्र पर अपना बांध बना रहा है। भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों की 18 दिसंबर को बैठक हुई थी, जिसमें आंकड़ों को साझा करने पर चर्चा हुई थी।