होली पर फीकी होगी गुजिया की मिठास!,चीनी का उत्पादन 14 प्रतिशत गिरा, इतने बढ़ सकते है दाम

होली पर फीकी होगी गुजिया की मिठास!,चीनी का उत्पादन 14 प्रतिशत गिरा, इतने बढ़ सकते है दाम
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चीनी के कारोबार से जुड़े जानकारों का कहना है कि, चीनी के कम उत्पादन का असर बाजार में भी दिखने लगा है। अब तक चीनी के दाम 6.5 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं। एस ग्रेड चीनी की कीमत अब 3800 रुपए प्रति क्विंटल पहुंच गई है।आने वाले दिनों में चीनी की मिठास लेने के लिए आपको ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ सकता है। इसके पीछे की वजह देश के चीनी उत्पादन में गिरावट होना है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी के अंत तक देश में चीनी उत्पादन में करीब 14 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। लेकिन आने वाले दिनों में भीषण गर्मी और लू के चलते भी गन्ने का रस कम हो सकता हैं। इससे भी चीनी उत्पादन में गिरावट देखने को मिल सकती है। ऐसे में देशभर के बाजार में चीनी के दामों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।

चीनी के कारोबार से जुड़े जानकारों का कहना है कि, चीनी के कम उत्पादन का असर बाजार में भी दिखने लगा है। अब तक चीनी के दाम 6.5 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं। एस ग्रेड चीनी की कीमत अब 3800 रुपए प्रति क्विंटल पहुंच गई है, जो पिछले साल के मुकाबले काफी ज्यादा है। अगर उत्पादन में गिरावट जारी रही और हीट वेव ने गन्ने को और नुकसान पहुंचाया, तो चीनी के दामों में और तेजी आ सकती है। लेकिन क्योंकि गर्मियों में मांग बढ़ने के साथ-साथ आपूर्ति कम रहने की आशंका है, जिससे बाजार में चीनी की कीमतें नया रिकॉर्ड बना सकती हैं।


दरअसल, अभी चीनी उत्पादन 14 प्रतिशत गिरा है। 177 फैक्ट्रियां बंद हुईं। वहीं, भीषण गर्मी के साथ हीट वेव का खतरा मंडरा रहा है। चीनी के दाम पहले ही 6.5 प्रतिशत बढ़े हुए नजर आ रहे है। 3800 रुपये प्रति क्विंटल पहुंचा एस ग्रेड चीनी का दाम है। इससे आने वाले महीनों में चीनी और महंगी होने की उम्मीद है। इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर दिखाई दे सकता है। क्योंकि चीनी के महंगे होने से कई प्रोडक्ट का दाम बढ़ना तय है।

जानकारी के अनुसार, फरवरी 2025 के अंत तक 219 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। पिछले साल इसी समय तक यह आंकड़ा 255 लाख टन था यानी इस साल 36 लाख टन कम उत्पादन हुआ है। इस साल अब तक 177 चीनी मिलें बंद हो चुकी हैं। जबकि पिछले साल फरवरी तक सिर्फ 65 फैक्ट्रियां बंद हुई थीं। इसका साफ मतलब है कि उत्पादन की रफ्तार इस साल काफी धीमी रही है।

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