अब बनेंगे नौ गो-अभयारण्य: एक पर खर्च होगे 18 करोड़,आवारा गोवंशीय पशुओं की बेहतर देखभाल हो सकेगी
भोपाल। मध्य प्रदेश के संभागीय मुख्यालय वाले नौ जिलों में निराश्रित गोवंशीय पशुओं की बेहतर देखभाल के लिए गो-अभयारण्य बनाए जाएंगे। प्रत्येक अभयारण्य के निर्माण में 18 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसके संचालन की जिम्मेवारी किसी गैर सरकारी संगठन को दी जाएगी। संगठन आय बढ़ाने के लिए वहां कुछ दुधारू गायों को भी रख सकेगा।राज्य सरकार इस वर्ष को गोरक्षा वर्ष के रूप में मना रही है। इसी कड़ी में यह निर्णय लिया गया है। अभयारण्य निर्माण की योजना की मंजूरी के लिए शीघ्र कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा। अभयारण्य ऐसी जगह बनाए जाएंगे, जहां गोवंशीय पशुओं को दिन में चरने के लिए छोड़ा जा सके।पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव गुलशन बामरा के अनुसार मध्य प्रदेश में लगभग 10 लाख निराश्रित गोवंशीय पशु हैं, जिसमें तीन लाख गोशालाओं में और बाकी खुले में है। निराश्रित होने के कारण गोवंशीय पशु राजमार्गों में दुर्घटनाओं का शिकार होते रहते हैं। अभयारण्यों में क्षमतानुसार पांच से 25 हजार तक गोवंशीय पशु रखे जा सकेंगे। बता दें कि आगर मालवा के सलरिया में एक गो-अभयारण्य पहले से संचालित हो रहा है, जो 472 हेक्टेयर क्षेत्र में बना हुआ है। इसे भी विस्तारित करने की योजना है।
प्रदेश में गोवंश वन्य अभयारण्य बनाने का प्रस्ताव है। जिस अंचल में निराश्रित गोवंश की संख्या अधिक है, वहां अधिक और बड़े अभयारण्य बनाए जाएंगे। यहां गोवंश को दिन में चरने के लिए छोड़ा जाएगा। - गुलशन बामरा, प्रमुख सचिव, पशुपालन विभाग, मप्र
गोशालाओं से इस तरह अलग होंगे अभयारण्य
गोशालाओं में गायों को चरने की सुविधा नहीं रहती। अभयारण्य ऐसी जगह बनाए जाएंगे, जहां वह वन में घास चरने के लिए जा सकेंगी।
इस क्षेत्र को किसी तरह की फेंसिंग से सुरक्षित किया जाएगा, जिससे गोवंश बाहर न जा सके और न ही उन्हें जंगली जानवरों से खतरा रहे।
गोशालाओं में उन गायों को रखा जाता है, जो दूध नहीं दे रही हैं, पर गो-अभयारण्य में दुधारू गायों को भी रखा जा सकेगा।
यहां बनेंगे अभयारण्य
टीकमगढ़ में चरपुंवा, मंदसौर में मोरखेड़ा, पन्ना में शिकारपुरा, अशोकनगर में नडेर, रायसेन में चिखलोद कला, खरगोन में ओखला, सतना में पड़मनिया जागीर, जबलुपर में देहरीकलां या देहरीखुर्द और सागर में देवल।