अब भारत में भी बनेगा तैरता हुआ न्यूक्लियर पावर प्लांट, 24 घंटे लगातार करेगा काम

अब भारत में भी बनेगा तैरता हुआ न्यूक्लियर पावर प्लांट, 24 घंटे लगातार करेगा काम
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न्यूक्लियर पावर प्लांट के जरिए 24 घंटे बिजली उत्पन्न की जा सकती है. रूस के लोमोनोसोव में न्यूक्लियर प्लांट है. रूस ने इन प्लांट से ही अपनी ऊर्जा की जरूरतों को पूरा किया है. इस प्लांट की खास बात यह है कि इसे आसानी से एक से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है बिल्कुल किसी बड़े जहाज की तरह.

परमाणु ऊर्जा के मामले में भारत लगातार सत्ता के शिखर को हासिल करने की कोशिश कर रहा है. भारत में भी अब ऐसा परमाणु प्लांट बनाने की तैयारी हो रही है जिससे बिजली का उत्पादन किया जा सके. सरकार ने परमाणु ऊर्जा के मामले में तीन अहम फैसले लिए हैं. भारत प्राइवेट कंपनियों के साथ मिलकर स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर बनाने को लेकर काम करेगा.

रूस जैसे देश स्मॉल मॉड्यूलर न्यूक्लियर रिएक्टर की तकनीक भारत से शेयर कर रहे हैं. सरकार न्यूक्लियर एनर्जी के क्षेत्र में रिसर्च और डेवलपमेंट को बढ़ावा देने के लिए 1 लाख करोड़ रुपए खर्च करेगी. परमाणु ऊर्जा के जरिए ज्यादा से ज्यादा बिजली तैयार करने के लक्ष्य पर सरकार काम करेगी.

आसानी से एक जगह से दूसरे जगह ले जाया जा सकता है

आपको बता दें स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर को ही सामान्य भाषा में फ्लोटिंग न्यूक्लियर पावर प्लांट भी कहा जाता है. क्योंकि इसे आसानी से एक से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है. बिल्कुल किसी बड़े जहाज की तरह. रूस के पास ऐसे तैरते पावर प्लांट हैं जिससे वो बिजली पैदा करता है और लोगों के घरों तक रोशनी पहुंचाता है. अब रूस के तकनीक की मदद से भारत भी फ्लोटिंग न्यूक्लियर पावर प्लांट तैयार करेगा.

भारत में तैरता हुआ न्यूक्लियर पावर प्लांट कैसे ऊर्जा के क्षेत्र में गेम चेंजर साबित हो सकता है, बढ़ती बिजली की डिमांड के बीच वरदान साबित हो सकता है यह भी जानना जरूरी है. भारत में जिस न्यूक्लियर रिएक्टर को बनाने का ऐलान किया गया है, उसे बनाने की लागत बड़े न्यूक्लियर रिएक्टर से करीब 8 गुना कम है.

क्या है इसकी खासियत?

तैरता हुआ न्यूक्लियर पावर प्लांट 24 घंटे लगातार काम कर सकता है

इससे भारत में ऊर्जा के लिए कोयले पर निर्भरता कम होगी

कोयले वाले रिएक्टर की तुलना में तैरता हुआ न्यूक्लियर प्लांट 90 प्रतिशत कम कार्बन पैदा करता है

थर्मल पावर प्लांट की तुलना में 90 फीसदी कम जमीन का उपयोग करता है

थर्मल पावर प्लांट की तुलना यह 70 फीसदी कम पानी का उपयोग करता है

एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2050 तक भारत में बिजली की मांग 80 से 150 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है. ऐसी स्थिति में इस तरह के पावर प्लांट बिजली आपूर्ति का नया और हाईटेक ज़रिया बन सकते हैं. भारत के सबसे दक्षिणी हिस्से अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के द्वीपों में थर्मल पावर प्लांट में बिजली उत्पादन होता है, वहां 95 प्रतिशत बिजली, डीजल की मदद से बनाई जाती है. वहां 42 पावर स्टेशन हैं और कुल 81000 ग्राहक हैं.

इन द्वीपों तक ईंधन और उपकरण पहुंचाना महंगा सौदा है, प्राकृतिक आपदाओं और तूफान की स्थिति में वहां बिजली सप्लाई का सिस्टम ठप हो जाता है. इन जगहों पर बिजली के लिए इस तरह के पावर प्लांट काफी मददगार साबित होंगे. बिजली पैदा करने के लिए दुनिया में चीन के बाद भारत में सबसे ज्यादा कोयला इस्तेमाल होता है.

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