पति, सास-ससुरको बेवजह दहेज प्रताड़ना के केसों में फंसाने का बढ़ रहा है चलन

पति, सास-ससुरको बेवजह दहेज प्रताड़ना के केसों में फंसाने का बढ़ रहा है चलन
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इंदौर• दहेज प्रताड़ना के केसों में पति, सास-ससुर व अन्य को बेवजह फंसाने का चलन बढ़ रहा है। ऐसे मामलों पर रोक जरूरी है। ये टिप्पणी मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ की जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की पीठ ने एक हाई प्रोफाइल दहेज प्रताड़ना के मामले में सुनवाई के दौरान की। कोर्ट ने महिला द्वारा कथित तौर पर प्रताड़ना के दो साल बाद केस दर्ज कराने को शंकास्पद माना। पीठ ने मामले में पति और सास-ससुर को दहेज प्रताड़ना के केस में राहत दी है।

अधिवक्ता अमन मौर्य ने बताया, मुंबई में रहकर काम करने वाले अनिमेशन क्रिएटर महर्षि की डॉक्टर पत्नी ने उनपर और इंदौर में रहने वाले माता-पिता पर दहेज प्रताड़ना का केस वर्ष 2023 में महिला थाने में दर्ज कराया था। महिला ने आरोप लगाया था कि उनके पति और सास-ससुर जो कि रिटायर डीएसपी हैं, वो उनसे 15 लाख रुपए दहेज और कार की मांग करते हैं। नहीं देने के चलते भूखा रखा जाता है और मारपीट की जाती है। इसी कारण उनका गर्भपात भी हो गया था। पुलिस ने पति सहित सास-ससुर पर केस दर्ज कर लिया था। मामले में पति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

पति ने पेश किए सबूत, पत्नी का झूठ किया उजागर

सुनवाई के दौरान पति की ओर से कोर्ट में बताया गया था कि उनकी और पत्नी दोनों की ही यह दूसरी शादी है। महिला ने पूर्व पति के खिलाफ भी दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज करवाया था। उनसे पैसे मांगने के आरोप के खिलाफ कोर्ट को जानकारी दी गई थी कि उनकी मासिक आय ही 5 लाख रुपए है और उन्होंने शादी के बाद वही कार खरीदी है, जो कि पत्नी दहेज में लाने की मांग करना बता रही है, जबकि वो और उनकी पत्नी दोनोंं अधिकांश समय मुंबई में रहते हैं। वे इस दौरान कई बार घर में खाना नहीं बनने पर बाहर से ही खाना बुलाते रहे हैं, जिसके बिल भी कोर्ट में पेश किए गए। पत्नी के गर्भवती होने के बाद में उनके इलाज के लिए खर्च की गई राशि के बिल और महिला द्वारा मारपीट करने की जो तारीख बताई जा रही है, उसके दो दिन बाद ही वो मुंबई के इस्कॉन मंदिर में घूमने गए थे, उसकी फोटो भी कोर्ट में पेश की गई। इसके साथ ही उनकी पत्नी मुंबई से इंदौर जिस फ्लाइट से आई थी, उसके टिकट की डिटेल भी कोर्ट में पेश की गई थी।

पत्नी पेश नहीं कर सकी आभूषण के बिल

पति की ओर से बताया गया कि महिला ने केस दर्ज कराने के तीन माह पहले उन्हें एक कानूनी नोटिस जारी करते हुए कहा था कि वे उनके साथ आकर इंदौर में रहें या फिर तलाक दें। इसके बाद में महिला ने महिला थाने में पति और उनके परिजनों के खिलाफ केस दर्ज कराया था। महिला ने एफआइआर में आरोप लगाया था कि उनकी शादी का खर्चा उनके माता-पिता ने उठाया था और उन्हें गहने भी दिए थे, जिसके बिल वो कोर्ट में पेश नहीं कर पाई थी।

देरी से केस दर्ज कराना शंकास्पद

कोर्ट ने सबूतों को ध्यान में रखने और शादी के दो साल बाद केस दर्ज कराने को शंकास्पद माना। हाई कोर्ट की एकल पीठ ने मामले में पति और उनके माता-पिता को राहत देते हुए फैसला जारी किया है, जिसमें कोर्ट ने टिप्पणी की है कि महिला दो साल तक प्रताडि़त होती रही। दो साल के बाद उसने पति और अन्य के खिलाफ केस दर्ज कराया। इतनी देरी से केस दर्ज कराना शंकास्पद है। दहेज प्रताड़ना के मामलों के केसों में पति, सास-ससुर व अन्य को बेवजह फंसाने का चलन बढ़ रहा है। ऐसे मामलों पर रोक जरूरी है। साथ ही ऐसे मामलों में हाई कोर्ट का हस्तक्षेप भी जरूरी है।

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