बाजार में स्थिरता आने पर रुपये में जोरदार उछाल की उम्मीद, एसबीआई की रिपोर्ट में किया गया दावा

भारतीय स्टेट बैंक ( एसबीआई ) की एक रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा बाजार अनिश्चितताओं के समाप्त होने के बाद भारतीय रुपये में मजबूत सुधार दिख सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि डॉलर इंडेक्स (डीएक्सवाई) में अब भी कुछ गति बाकी है, लेकिन एसबीआई ने 2016-2017 की अवधि से समानता बताते हुए कहा कि रुपये में उसी समय की तरह अस्थिरता के दौर के बाद मजबूत उछाल आ सकती है।
रिपोर्ट में बताया गया- डॉलर में कहां से आ रही मजबूती?
डॉलर इंडेक्स (डीएक्सवाई) विदेशी मुद्राओं के बास्केट के सापेक्ष डॉलर के मूल्य का एक सूचकांक है। रिपोर्ट ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि कई कारकों के कारण डॉलर इंडेक्स ऊपर की ओर बढ़ना जारी रख सकता है। इसमें डॉलर पर वैश्विक वित्तीय प्रवाह का उलटफेर भी शामिल होता है। डोनाल्ड ट्रम्प की "अमेरिका को फिर से महान बनाओ" जैसी आर्थिक विकास समर्थक नीतियों का समर्थन करने वाली "बड़ी टेक" कंपनियों का प्रभुत्व, डॉलर की मजबूती में योगदान देता है। एसबीआई ने बताया कि चालू वित्त वर्ष में भारत की मुद्रा प्रचलन (CIC) में 78,000 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है, जो लगभग 35.9 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है, यह देश के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 11 प्रतिशत है। इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नवंबर 2024 तक रुपये को थामने के लिए फॉरेक्स बाजार में 1.7 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की। इसके जरिए विदेशी मुद्रा बाजार में सक्रिय रूप से हस्तक्षेप किया है।
एसबीआई के अनुसार रुपये का सबसे बुरा दौर जल्दी होने वाला है खत्म
भारतीय स्टेट बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है, "नवंबर 24 तक भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से विदेशी मुद्रा की शुद्ध बिक्री 1.7 लाख करोड़ रुपये थी और हमारा मानना है कि रुपये में गिरावट को देखते हुए कम से कम आज की तारीख तक यह 1.7 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को आसानी से पार कर गई होगी।" एसबीआई का मानना है कि सबसे बुरा दौर जल्द ही खत्म हो सकता है। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के कम होने और बाजार की स्थितियों के स्थिर होने के बाद रुपये के मूल्य में सुधार की उम्मीद है। यह दृष्टिकोण भारत की मुद्रा के लिए उम्मीद की किरण की तरह है, हाल के दिनों में एक चुनौतीपूर्ण व्यापक आर्थिक माहौल का सामना कर रही है।
dआरबीआई तरलता प्रबंधन ढांचे में कर सकता है संशोधन : एसबीआई
भारतीय स्टेट बैंक ( एसबीआई ) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक ( आरबीआई ) अपने लिक्विडिटी मैनेजमेंट फ्रेमवर्क (एलएमएफ) में महत्वपूर्ण बदलावों की घोषणा कर सकता है । इन समायोजनों में पहले चरण के रूप में दैनिक परिवर्तनीय दर रेपो (वीआरआर) नीलामी शामिल हो सकती है। साथ ही, लिक्विडिटी आवश्यकताओं को संतुलित करने और बैंकिंग प्रणाली को मजबूत करने के लिए अभिनव उपाय भी शामिल हो सकते हैं। एसबीआई ने कहा, "आरबीआई लिक्विडिटी मैनेजमेंट फ्रेमवर्क में और बदलाव की संभावना...दैनिक वीआरआर पहला कदम...इस तरह के बदलाव और अगले दौर की पहल आरबीआई द्वारा स्मार्ट और व्यावहारिक हैं ...अस्थायी और स्थायी लिक्विडिटी इंजेक्शन/निकासी का नाजुक मिश्रण अभी भी प्रगति पर है।"
