खांसी की दवा बनी बच्चों के लिए जानलेवा: 12 बच्चों की मौत बनी पहेली, कफ सिरप निर्दोष; जांच रिपोर्ट से उलझा मामला

12 बच्चों की मौत बनी पहेली, कफ सिरप निर्दोष; जांच रिपोर्ट से उलझा मामला
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जयपुर/भोपाल।

खांसी की साधारण बीमारी का इलाज करने के लिए दी गई कफ सिरप अब बच्चों की जान पर भारी पड़ रही है। मध्यप्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप पीने से अब तक **12 बच्चों की मौत** हो चुकी है। इसके बाद केंद्र सरकार ने राज्यों को एडवाइजरी जारी कर कहा है कि **दो साल से छोटे बच्चों को खांसी की कोई भी दवा न दी जाए।**

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मध्यप्रदेश में किडनी फेल से मौतें

मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में बच्चों की मौत का मुख्य कारण **किडनी फेल होना** सामने आया है। यहां शुक्रवार को भी एक बच्चे की मौत हुई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की जांच रिपोर्ट में यह पाया गया कि संबंधित कफ सिरप में **डायथिलीन ग्लाइकोल (DEG) या एथिलीन ग्लाइकोल (EG)** जैसे जहरीले रसायन मौजूद नहीं थे। हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि मौतों के पीछे गंभीर किडनी डैमेज जिम्मेदार रहा।

तमिलनाडु में ‘कोल्ड्रिफ’ पर प्रतिबंध

मामले की गंभीरता को देखते हुए **तमिलनाडु सरकार ने 1 अक्टूबर से ‘कोल्ड्रिफ’ नामक कफ सिरप की बिक्री पर पूरे राज्य में प्रतिबंध** लगा दिया है। यह दवा चेन्नई स्थित एक फार्मा कंपनी बनाती है।मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में पिछले एक महीने में नौ बच्चों की संदिग्ध मौतों ने स्वास्थ्य विभाग को बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। शुरुआत में खांसी के सिरप को मौतों का कारण माना जा रहा था, लेकिन जांच रिपोर्ट में सिरप में जहरीले केमिकल डायथिलीन ग्लाइकाल (डीईजी) या एथिलीन ग्लाइकाल (ईजी) नहीं पाए गए।

सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड एवं कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) में छह और राज्य औषधि प्रयोगशाला में तीन सैंपलों की जांच हुई। सभी में सिरप को सुरक्षित पाया गया। केवल एक सैंपल में लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण के संकेत मिले, लेकिन डॉक्टरों ने इसे मौत की वजह मानने से इनकार कर दिया।

राजस्थान में भी दो बच्चों की मौत

इसी तरह का मामला राजस्थान में भी सामने आया, जहां दो बच्चों की मौत हुई। यानी दोनों राज्यों में अब तक कुल 11 बच्चों की जान जा चुकी है। वहीं, मध्य प्रदेश में अभी भी 13 बच्चे इलाजरत हैं, जिनमें तीन की हालत गंभीर है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय सतर्क

लगातार मौतों के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी की है। इसमें पांच साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी का सिरप बेहद सावधानी से देने की हिदायत दी गई है और इसके तर्कसंगत उपयोग पर जोर दिया गया है।

बच्चों में दिखे थे ये लक्षण

छिंदवाड़ा के परासिया क्षेत्र में 4 सितंबर से बच्चों में वायरल संक्रमण जैसे लक्षण, फिर पेशाब रुकने की समस्या और किडनी में हल्का संक्रमण सामने आया। नई बीमारी या दवा के दुष्प्रभाव की आशंका को देखते हुए NCDC, NIV और CDSCO की टीम जांच कर रही है।

खाद्य एवं औषधि प्रशासन के नियंत्रक दिनेश मौर्य ने बताया कि अब तक लिए गए 19 सैंपलों में से नौ की रिपोर्ट आ चुकी है और किसी में भी दूषित डीईजी या ईजी नहीं पाया गया है।



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