नायब सैनी, विज या राव इंद्रजीत? अमित शाह की मौजूदगी में हरियाणा CM पर फैसला आज

नायब सैनी, विज या राव इंद्रजीत? अमित शाह की मौजूदगी में हरियाणा CM पर फैसला आज
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हरियाणा में बीजेपी तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है. आज यानी बुधवार को बीजेपी विधायक दल की बैठक होने जा रही है जिसमें विधायक दल का नेता चुना जाएगा. हालांकि, पार्टी पहले ही साफ कर चुकी है कि हरियाणा में सीएम नायब सैनी के चेहरे को आगे रखकर चुनाव लड़ा गया है और तीसरी बार सत्ता में लौटने पर वही मुख्यमंत्री होंगे, लेकिन बीजेपी विधायक दल की बैठक में इस फैसले पर औपचारिक मुहर लगाई जाएगी. पार्टी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को इस बैठक के लिए बतौर केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया है. पंचकूला के बीजेपी ऑफिस में ये बैठक बुधवार 16 अक्टूबर को सुबह 11 बजे होगी.

सवाल ये उठ रहा है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को बतौर पर्यवेक्षक भेजे जाने के पीछे क्या कारण है? अमित शाह अमूमन चुनावी राज्यों में संगठन से रणनीति तक, पार्टी के पेंच दुरुस्त करने का दायित्व निभाते आए हैं. यूपी जैसे बड़े राज्य में 2017 में पूर्ण बहुमत के साथ कमल खिलाने का श्रेय भी अमित शाह को दिया जाता है लेकिन ‘चुनावी चाणक्य’ की भूमिका इस बार उस राज्य में सीएम चुनने की होगी जिस राज्य में पार्टी बड़ी जीत के साथ लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है. अमित शाह जैसे बड़े नेता को पर्यवेक्षक बनाए जाने के बाद अटकलों का बाजार भी गर्म हो गया है. बात इसे लेकर भी हो रही है कि क्या अमित शाह को हरियाणा की फंक्शनल फाइट कंट्रोल करने के लिए पर्यवेक्षक बनाया गया है या पार्टी फिर से कोई सरप्राइजिंग फेस लाने की तैयारी में है?

पार्टी लाइन से अलग सीएम पद पर दावेदारी

बीजेपी अनुशासित पार्टी मानी जाती है. अमूमन ऐसा देखने को मिलता है कि पार्टी ने अगर किसी नेता को चेहरा घोषित कर दिया तो उसके बाद अगले सीएम को लेकर डिबेट वहीं समाप्त हो जाती है. पार्टी के नेता भी खुलकर सीएम दावेदारी करने से परहेज करते हैं लेकिन हरियाणा चुनाव में इसके उलट नजारा देखने को मिला. खुद अमित शाह ने ही पंचकूला में ये ऐलान किया था कि नायब सैनी ही चुनाव में बीजेपी का चेहरा होंगे लेकिन राव इंद्रजीत से लेकर अनिल विज तक, सीएम पद के लिए नेताओं की दावेदारियां इसके बाद भी लगातार चलती रहीं. राव इंद्रजीत विधायक नहीं हैं, लेकिन सीएम के लिए अनिल विज के साथ उनकी दावेदारी ने बीजेपी नेतृत्व की टेंशन बढ़ा दी है.

राव इंद्रजीत भी ठोक रहे सीएम पद के लिए दावेदारी

अमित शाह ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि पार्टी सत्ता में आई तो नायब सिंह सैनी ही मुख्यमंत्री होंगे. हरियाणा में बीजेपी को जिस तरह की जीत मिली है, उससे नायब सिंह सैनी का कद बढ़ा भी है लेकिन अनिल विज हों या फिर राव इंद्रजीत, हाल के दिनों में लगातार सीएम पद के लिए अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं. राव इंद्रजीत का कहना है कि दक्षिण हरियाणा से क्यों नहीं मुख्यमंत्री बनना चाहिए. अनिल विज का कहना है कि सीनियरिटी के हिसाब से वो पार्टी के सबसे बड़े नेता हैं हरियाणा में, उनको मुख्यमंत्री बनाना चाहिए. माना जा रहा है कि इस तरह के तमाम विवादों से बचने के लिए, कोई निगेटिव खबर ना चली जाए जिससे तीसरी बार बीजेपी सरकार का मजा किरकिरा हो जाए, इसलिए ही अमित शाह को ये जिम्मेदारी दी गई है.

सैनी के नाम का विरोध कर सकते हैं अनिल विज

माना जा रहा है कि अनिल विज नायब सैनी के नाम पर एक बार फिर विरोध कर सकते हैं. इससे पहले मनोहर लाल खट्टर को सीएम पद से हटाकर नायब सिंह सैनी को सीएम बनाने पर भी विज ने आपत्ति जताई थी. वो विधायक दल की बैठक बीच में ही छोड़कर चले गए थे. वो सैनी के मंत्रिमंडल में भी शामिल नहीं हुए थे. बीते दिनों विज ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात की थी. कहा जा रहा है कि इस दौरान भी उन्होंने सीएम पद पर अपना दावा पेश किया.

हालांकि, बीजेपी संगठन से जुड़े और शपथ ग्रहण की तैयारियों में लगे पार्टी के सीनियर नेता नहीं मानते हैं कि अमित शाह को इसी कारण से बतौर पर्यवेक्षक भेजा जा रहा है. उनका कहना है कि सीएम पद को लेकर पार्टी का निर्णय कलेक्टिव रहेगा और बीजेपी में इस तरह से निर्णय नहीं लिए जाते हैं बल्कि मिलजुल कर बैठकर लोकतांत्रिक तरीके से निर्णय लिए जाते हैं और अमित शाह भी इसी वजह से बतौर पर्यवेक्षक आ रहे हैं.

हरियाणा में बीजेपी के सामने बड़ा टास्क

मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी को देखने और दावेदारों को संतुष्ट करने के लिए ही अमित शाह जैसे वरिष्ठ नेता को बीजेपी ने हरियाणा के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया है. मुख्यमंत्री पद के दावेदारों को संतुष्ट करने के साथ ही मंत्रिमंडल में जगह मांग रहे नेताओं को संतुष्ट करना बीजेपी के लिए बड़ा टास्क होगा. हरियाणा बीजेपी में इस समय कई गुट काम कर रहे हैं. हर गुट अपने लोगों के लिए मंत्रिमंडल में अधिक जगह की मांग कर रहा है. अमित शाह को बतौर पर्यवेक्षक भेजे जाने के पीछे यही मुख्य कारण माने जा रहे हैं. अमित शाह की छवि के मद्देनजर पार्टी मान रही है कि वो इन तमाम विवादों को सुलझाने में कामयाब रहेंगे.

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